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[ २.२ ] ज्ञानावरण कर्म
द्रव्यकर्म का उदाहरण
प्रश्नकर्ता : हर एक कर्म को डिटेल में समझाइए। द्रव्यकर्म उदाहरण
सहित समझाइए।
दादाश्री : मोमबत्ती देखी है, मोमबत्ती I
प्रश्नकर्ता : हाँ जी, मोमबत्ती देखी है।
दादाश्री : मोमबत्ती में क्या-क्या चीजें होती हैं? उसके अंदर ?
प्रश्नकर्ता : मोम होता है और बत्ती होती है ।
दादाश्री : ये सब साधन हैं और फिर जब उसे जलाते हैं, तब पूरी मोमबत्ती कहलाती है । प्रकाश देती है । उसी प्रकार यह प्रकाश देनेवाली मोमबत्ती है। यह जो पूरी मोमबत्ती है, वे ये सारे द्रव्यकर्म हैं, निरंतर पिघलते ही रहते हैं और नया द्रव्यकर्म उत्पन्न होता है । जैसे-जैसे यह मोमबत्ती जलती है, वैसे-वैसे पिघलती ही रहती है निरंतर ।
तो इस द्रव्यकर्म में इस मोमबत्ती में क्या-क्या चीज़ें हैं, वह बताता हूँ। फिर उस मोमबत्ती में आप ऐसा समझें हैं कि धागा है न, और वह है, उसी प्रकार इसमें ज्ञानावरण कर्म है ।
जो ज्ञान को प्रकट न होने दे, वह ज्ञानावरण कर्म
किसी व्यक्ति को आँखों पर पट्टियाँ बाँधकर भेजें, तो उस व्यक्ति को कैसा - कैसा दिखेगा ? क्या दिखेगा?