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[ १.५ ] कैसे-कैसे प्रकृति स्वभाव
एक ही वाक्य से मोक्षमार्ग
कोई कहे कि 'मुझे भगवान दिखाइए', तो हम कहेंगे कि 'उसके सभी प्रकृति स्वभाव घटा ( माइनस कर) दे तो वह खुद भगवान ही है । '
प्रश्नकर्ता : वह घटाने की मुख्य चीज़ है दादा ?
दादाश्री : पहले यह तय कर कि इनमें भगवान है। उसके बाद यह जान कि घटाना किस तरह से है ?
प्रश्नकर्ता : जन्म जन्मांतर की साधना हो, तब जाकर घटाना आता
है।
दादाश्री : आता है लेकिन घटाना आसान नहीं है।
प्रश्नकर्ता : आपने तो कह दिया कि घटा दो, लेकिन किस तरह घटाना है ? प्रकृति तो जड़ है ।
दादाश्री : जड़ है फिर भी क्रियावान है और कड़वे-मीठे फल देनेवाली है। लोग कहते हैं कि 'जो मीठे हैं, उन्हें मैंने मीठा बनाया है और कड़वे मेरे नहीं हैं।' लेकिन मीठे और कड़वे दोनों प्रकृति ही हैं । जिसे नये फल उत्पन्न नहीं करने हैं, वह आत्मा है।
अतः प्राकृत स्वभाव को घटा करके देखो, भगवान दिखेंगे। भगवान तो जो अंदर प्रकट हुए हैं, वे हैं । यह तो प्रकृति दिखाई देती है
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प्रश्नकर्ता : आप प्रकृति के स्वभाव को घटाने को कहते हैं। प्रकृति