Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेययोधिनी टीका पद १७ सू० १८ रसपरिणामनिरूपणम् प्रच्छा ? गौतम ! तद यथानाम भजी इति वा भङ्गरज इति वा पाठा इति वा चित्रमूलकमिति वा पिप्पली इति वा पिप्पलीमूलमिति वा पिप्पलीचूर्णमिति वा मरीचमिति या मरीच. चूर्णमिति वा शृङ्गवेरमिति वा शृङ्गवेरचूर्णमिति वा, भवेद् एतद्रूपा ? गौतम ! नायमर्थः समर्थः, नीललेश्या खलु इतो यावद् अमनआमतरिकाचैव आस्वादेन प्रज्ञप्ता, कापोतलेश्याया पृच्छा, गौतम ! तत् यथानाम आम्राणां वा आम्राटकानां वा मातुलिङ्गानां वा बिल्वानां या कपित्थानां वा पनसानां वा दाडिमानां वा पारापतानां वा अक्षोटकानां वा बदराणां वा गौतम ! जैसे कोई (भंगीइ वा भंगीरएइ वा) भंगी नामक वनस्पति या भंगी वनस्पति की रज (पाढाइ वा) पाठा वनस्पति (चवियाइ वा) चविया (चित्तामूलएइ वा) चित्रमूलक वनस्पति (पिप्पलीइ वा) पीपल (पिप्पलीमूलएइ वा) पीपरामूल( पिप्पली चुण्णेइ वा) पीपल का चूर्ण (मिरिए वा) मिर्च (मिरियचुप्णएइ वा) मिर्च का चूर्ण (सिंगबेरेइ वा) अदरख (सिंगबेर चुण्णेइ वा) अदरख का चूर्ण (भवेएयारूवे) ऐसी होती है क्या (गोयमा ! णो इणढे समठे) हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं (नीललेस्सा णं एत्तो जाव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता) नीललेश्या इससे भी यावतू अधिक अमनोज्ञ रस की अपेक्षा से कही है
(काउलेस्साए पुच्छा ?) कापोतलेश्या संबंधी प्रश्न ? (गोयमा! से जहा नामए) हे गौतम ! जैसे कोई (अंबाण या) आमोंका (अंबाडगाणं) आत्राटकआम्राटक के फलों का (माउलिंगाण वा) विजौरों का (घिल्लाण वा) विल्यों का (कविट्ठाण वा ) कपित्थों-कबीठों का (मज्जाण वा) मजों का (फणसाण वा) पनसों का (दाडिमाण वा) दाडिमों का (पारेपताण वा) पारावतों का (अक्खोड
__ (नीललेस्साए पुच्छा ?) नledश्यानी १२७॥ ? (गोयमा ! से जहा नामए) है गौतम ! संभ (भंगीइ वा भगीरएइ वा) all नामनी वनस्पति १२ मा वनस्पतिनी २०१ (पाढाइ वा) ५. वनस्पति (चवियाइ वा) यविया (चित्तमूलएइ वा) यिभूम४ वनस्पति (पिप्पलीइ वा) पी५२ (पिप्पलीमूलेइ वा) पीपरी भू (पिप्पली चुण्णेइ वा) पी५२नु यू (मिरिए वा) भि (मिरियचुण्णएइ वा) भियनु यू (सिंगबेरेइ वा) मा (सिंगबेर चुण्णेइ वा) मानु यूए (भवे एयारूवे) मेवी से डाय छे शु?
(गोयमा ! णो इणदे सम ) है गोतम ! २५॥ अथ पान नथी (नीललेस्साणं एत्तो जाव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता) नीसवेश्या मनाथी ५५ यावत माथि અમનેઝ રસની અપેક્ષા કહી છે.
(काउलेस्साए पुच्छा ?) अपातलेश्या समन्धी प्रश्न ? (गोयमा ! से जहानामए) हे गौतम! रेम । (अंबाडवा) मन (अंबाडगाणं वा) माना जाना (माउलिंगाण वा) भीमराना (बिल्लाण वा) मिलान (कविद्वाण वा) पित्याना (मज्जाण वा) भलेना (फणसाण वा) ३५सोना (दाडिमाणं वा) उमना (पारेवताण वा) पायताना (अक्खोडयाण वा) मसाटाना
श्री प्रशानसूत्र:४