Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 816
________________ प्रमेयबोधिना टीका पद २१ सू० १० पुद्गलचयननिरूपणम् शरीरम् ? गौतम ! यस्यौदारिकशरीरं तस्याहारकशरीरं स्यादस्ति स्याग्नास्ति, यस्य पुनराहारकशरीरं तस्यौदारिकशरीरं नियमादस्ति, यस्य खलु भदन्त ! औदारिकशरीरं तस्य तैजसशरीरं यस्य तैनसशरीरं तस्यौदारिकशरीम् ? गौतम ! यस्यौदारिकशरीरं तस्य तैजसशरीरं नियमादस्ति, यस्य पुनस्तैजसशरीरं तस्यौदारिकशरीरं स्यादस्ति स्यानास्ति, एवं कार्मणतस्स ओरालियसरीरं ?) जिसके आहारकशरीर होता है. उसके औदारिकशरीर होता है ? (गोयमा!) हे गौतम ! (जस्स ओरालियसरीरं तस्स आहारगसरीरं सिय अस्थि, सिय नस्थि) जिसके औदारिकशरीर होता है उस के कदाचित् आहारकशरीर होता है और कदाचित नहीं भी होता (जस्स पुण आहारगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं णियमा अत्थि) जिसके आहारकशरीर होता है उसके औदारिकशरीर नियम से होता है। ___ (जस्स णं भंते ओरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं) हे भगवन् ! जिसके औदा. रिकशरीर होता है, उसके तैजसशरीर होता है ? (जस्स तेयगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं ?) जिसके तैजसशरीर होता है, उसके औदारिकशरीर होता है ? (गोयमा ! जस्स ओरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं नियमा अस्थि) हे गौतम! जिसके औदारिकशरीर होता है उसके तैजसशरीर नियम से होता है (जस्स पुण तेयगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं सिय अस्थि, सिय नस्थि) किन्तु जिसके तेजप्तशरीर होता है उसके औदारिकशरीर कदाचित् होता है, कदाचित् नहीं होता (एवं कम्मगसरीरं पि) इसी प्रकार कार्मणशरीर भी ___ (जस्स णं भंते ! वेउब्धियसरीरं तस्स आहारगसरीरं जस्स आहारगसरीरं रेनु मा २४शरीर डाय छ, तनु मोहा२४शरी२ हाय छ ? (गोयमा !) गौतम ! (जस्स ओरालियसरीर तस्स आहारगसरीर सिय अत्थि, सिय नत्थि) ॐ गौतम ! रेनु જેનું ઔદારકશરીર હોય છે, તેનું આહારકશરીર કદાચિતું હોય છે, અને કદાચિત્ નથી पर डातु (जस्ल पुण आहारगसरीर तस्स ओरालियसरीर नियमा अस्थि) २ माडा२४ શરીર હોય છે, તેનું ઔદારિકશરીર નિયમથી હોય છે. (जस्स भंते ! ओरालियसरीर, तास तेयगसरीर) भगवन् ! न मोडारिशरी२ डाय छ तर तसशरीर डाय छ ? (जस्स तेयगसरीर तस्स ओरालियसरीर) ने तेसशरीर डाय छ, तन मोहोरि४शरीर डाय छ ? (गोयमा ! जस्स ओरालियसरीर तरस तेयगसरीर नियमा अत्थि) गौतम ! रेने मोहाशिरीर डाय छेतेन तेसशरीर नियमयी डाय छ (जस्स पुण तेयगसरोरं तस्स ओरालियसरीर सिय अत्थि, सिय नस्थि) ५४ रेनु તૈજસશરીર હોય છે, તેનું દારિક શરીર કદાચિત હોય છે, કદાચિત્ નથી હોતું (ાર્થ कम्मगसरीरं वि) ४ ४ारे भए शरी२ ५५. (जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीर तस्स आहारगसरीर जस्स आहारगसरीर तरस बेउ. श्री. प्रशानसूत्र:४

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