Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद २१ सू० ९ तैजसशरीरावगाहनानिरूपणम्
७९५ मात्रा, उत्कृष्टेन यावद् अधोलौकिकग्रामाः, तिर्यग् यावद् मनुष्यक्षेत्रम्, ऊर्ध्वं यावद् अच्युतः कल्पः तावत्प्रमाणा आनतदेवस्य तैजसशरीरावगाहनाऽवसेया, 'एवं जाव आरणदेवस्स' एवम्-अनातदेवोक्तरीत्या यावत्प्राणतदेवस्य आरणदेवस्य च तैजसशरीरावगाहना एवञ्चवपूर्वोक्तानतदेवरीत्यैव विष्कम्भवाहल्पेन शरीरप्रमाणमात्रा, यामेन तु जधन्येन अङ्गुलस्यासंख्येयभागमात्रा उत्कृष्टेन यावद् अधोलौकिकग्रामाः तिर्यग् यावद् मनुष्यक्षेत्रम्, ऊर्ध्व यावद् अच्युतः कल्पः तावत्प्रमाणा प्राणतारणा आनतदेवस्य तैजसशरीरावगाहनाऽवसेया, 'एवं जाव आरणदेवस्स' एवम्--अनात देवोक्तरीत्या यावत्प्राणतदेवस्य आरणदेवस्य च तेजसशरीरावगाहना एचव-पूर्वोक्तानतदेवरीत्यैव विष्कम्मबाहल्येन शरीरप्रमाणमात्रा, आयामेन तु जघन्येन अङ्गुलस्यासंरूपेयभाअमात्रा उत्कृष्टेन यावद् अधोलौकिकग्रामाः तिर्यगू यावद मनुष्य क्षेत्रम्, ऊध्ये यावद् अच्युतः कल्पः तावत्प्रयाणा प्राणतारणदेवयोस्तैजसशरीरावगाहना बोध्या, 'अच्चुयदेवस्स एवंचेव' अच्युतदेवस्य तैजसशरीरावगाहना एक्श्चैवआनतदेवोक्तरीत्यैव विष्कम्भवाहल्येन शरीरप्रमाणमात्रा, आयामेन जघन्येन अङ्गुलस्याभाग की होती है । उत्कृष्ट अधोलौकिकग्राम तक, तिर्थी मनुष्य क्षेत्र तक, ऊपर अच्युत कल्प तक, मारणान्तिक समुदघात से समवहत आनत देव के तैजसशरीर की अवगाहना जाननी चाहिए। ____ आनत देव की अवगाहना के समान ही प्राणत और आरण देव की तैजस शरीर संबंधी अवगाहना भी समझ लेनी चाहिए। अर्थात् विष्कंभ और बाहल्य की अपेक्षा शरीर प्रमाण, लम्बाई की अपेक्षा जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग उत्कृष्ट अधो लौकिक ग्राम तक, तिछी मनुष्य क्षेत्र तक और ऊपर अच्युत कल्प तक प्राणत और आरण देव के तैजसशरीर की अवगाहना होती है। ___ अच्युत देव की लैजसशरीर की अवगाहना भी इसी प्रकार है, अर्थात् विष्कम और बाहल्य की अपेक्षा शरीरप्रमाण, लम्बाई की अपेक्षा जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग की, उत्कृष्ट नीचे अधोलौकिकग्राम तक, तिर्थी मनुष्य क्षेत्र હોય છે. ઉત્કૃષ્ટ અલૌકિક ગ્રામસુધી, તિછ મનુષ્ય ક્ષેત્ર સુધી, ઊપર અશ્રુતકપ સુધી, મારણાનિક સમુદ્રઘાતથી સમવહત આનત દેવના તૈજસશરીરની અવગાહના જાણવી જોઈએ
આનત દેવની અવગાહનાની સમાન જ પ્રાણત અને આરણ દેવની તેજસશરીર સંબધી અવગાહના પણ સમજી લેવી જોઈએ. અર્થાત્ વિષ્ઠભ અને બાહલ્યની અપેક્ષાએ શરીરપ્રમાણ લંબાઈની અપેક્ષા જઘન્ય અંગુલને અસંખ્યાત ભાગ, ઉત્કૃષ્ટ અધોલૌકિક ગ્રામ સુધી, તિછિ મનુષ્ય ક્ષેત્ર સુધી અને ઊપર અયુતક૫ સુધી પ્રાણુત અને આરણ દેવના તેજસશરીરની અવગાહના હોય છે.
બારમા દેવલોકનાઅશ્રુત દેવની તૈજસશરીરની અવગાહના પણ એજ પ્રકારે છે, અર્થાત્ વિષ્ક અને બાહલ્યની અપેક્ષાએ શરીર પ્રમાણ લંબાઈની અપેક્ષાએ જઘન્ય અંગુલના
श्री प्रशाना सूत्र:४