Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 789
________________ ७७६ प्रमापनासूत्रे समाहतस्य तैजस शरीरस्य किं महालया शरीरावगाहना प्रज्ञप्ता ? गौतम ! शरीरप्रमाणमात्रा विष्कम्भवाहल्येन, आयामेन जघन्येन सातिरेकं योजनसहस्रम् उत्कृष्टेन अधो यावद अधः सप्तमपृथिवीतिर्यग् यावत् स्वयंभूरमणः समुद्रः, ऊर्ध्वं यावत् प.डकवने पुष्करिणी, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकस्य खलु भदन्त ! मारणान्तिकसमुदघातेन समवहतस्य तैजसशरीरस्य च किं महालया शरीरावगाहना प्रज्ञप्ता ? गौतम ! यथा द्वीन्द्रियशरीरस्य, मनुष्यस्य खलु भदन्त ! मारणान्तिकसमुद्घातेन समवहतस्य तैजसशरीरस्य किं महालया शरीरावगाहना सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?) कितनी बडी शरीरावगाहका कही है ? (गोयमा! सरीरप्पमाणमेत्ता) हे गौतम ! शरीर प्रमाण मात्र (विक्खंभवाहल्लेण) विस्तार और मोटाई से (आयामेणं) लंबाई से (जहण्णेण सातिरेग जोयणसहस्स) जघन्य कुछ अधिक एक हजार योजन (उक्कोसेणं) उत्कृष्ट (अहे जाव अहेसत्तमा पुढवी) नीचे सातवीं पृथ्वी तक (तिरियं जाव संयंभुरमाणे) तिर्छ स्वयंभूरमण समुद्र तक(उडूं जाव पंडगवणे पुक्खरिणीओ) ऊर्ध्व पंडकवन में पुष्करिणियों तक ___ (पंचिंदियतिरिक्ख जोणियस्स ण भंते ! मारणंतिय समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! मारणान्तिक समुदघात से समबहत पंचेन्द्रिय तिर्यंच के तैजसशरीर की कितनी बडी अवगहना होती है ? (गोयमा ! जहा बेइंदियसरीरस्स) हे गौतम ! जैसी हीन्द्रिय के शरीर की (मणुस्सस्स णं भंते ! मारणतियसमुग्घाएण समवयस्स तेयासरीरस्स के महालिया सरीरोगाहणा पण्णता?) हे भगवन् ! मारणान्तिक समुदघात से (नेरइयस्त णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स) 8 सन् ! भारति समुद्धातथी सभपडत नरथिन। तैसशरीरनी (के महालिया सरीरोगाहणा पण्ण त्ता ?) हैटी मोटी शरी॥4॥ना हा छ ? (गोयमा ! सरीरमाणमेत्ता) गौतम शरी२ प्रमाण मात्र (विक्खभवाहल्लेणं) विस्तार मने मोटाथी (आयामेणं) माथी (जहण्णेणं सातिरेणं जोयणसहस्स) ४३न्य ४is४ मधि४ मे ४ १२ यान (उको सेणं) अष्ट (अहे जाव अहेसत्तमा पुढवी नाये सातमी Y1 सुधा (तिरिय जाव सयंभूरमणे) तस्विय भू२भए समुद्र सुधा (उडूढं जाव पंडगवणे पुक्खरिणीओ) ये ५७४वनमा ४२.ये सुधी (पंचिंदिय तिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्त के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?) 3 भावन् ! भ२यन्ति समुद्धातथा समपात ५'यन्द्रिय तिय यन। तेसशरनी ४ी भारी माना जाय छे ? (गोयमा ! जहा बेइंदियसरीरस्स) 3 गौतम ! २वी दीन्द्रयना शथानी (मणुस्सस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समवहयस्स तेयासरीरस्स के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?) भगवन् ! भान्ति समुइयातथी समपात भनुष्यन तेसशरीरनी શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૪

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