Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text ________________
७७८
पशापनासूचे विष्कम्भबाइल्येन, आयामेन जघन्येन अङ्गुलस्यासंख्येयभागम् उत्कृष्टेन अधो यावद महापातालानां द्वितीये तृतीयभागे, तिर्यग् यावत् स्वयंभूरमणः समुद्रः, ऊध्वं यावत् अच्युतः कल्पः, एवं यावत् सहस्रारदेवस्य अच्युतः कल्पः, आनतदेवस्य खलु भदन्त ! मारणान्तिकसमुदघातेन समवहतस्य तैजसशरीरस्य किंमहालया शरीरावगाहना प्रज्ञता ? गौतम ! शरीरप्रमाणमात्रा विष्कम्भबाहल्येन, आयामेन जघन्येन अङ्गुलस्यासंख्येयभागम्, उत्कृष्टन यावद् चेव) वानव्यन्तर,ज्योतिष्क, सौधर्म और इशान देवों की इसी प्रकार (सणं. कुमारदेवस्सणं भते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहमस्म तेयासरीरस्स के महा. लिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता.१) हे भगवन् ! मारणान्तिक समुदघात से समयहत सनत्कुमार देव की शरीरावगाहना कितनी बडी कही है ? (गोयमा ! सरीर प्पमाणमेत्ता विक्खभवाहल्लेण) विष्कंभ और बाहल्य से शरीर के प्रमाण मात्र (आयामेणं) लम्बाइ में (जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जहभाग) जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग(उक्कोसेणं अहे जाव महापायालाणं दोच्चे ति भागे) उत्कृष्ट नीचे यावत् महापाताल के दूसरा त्रिभाग (तिरियं जाव अच्चुओ कप्पो) ऊपर यावत् अच्युत कल्प (एवं जाव सहस्सारदेवस्स) इसी प्रकार सहस्रार देव तक (अच्चुओ कप्पो) अच्युत कल्प तक
(आणयदेवस्स णं ते ! मारणंतिय समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स) हे भगवन् ! मारणोन्तिक समुद्घात से समवहत आनत देव के तैजसशरीर की (के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?) कितनी बडी शरीरावगाहना कही है ? (गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता) हे गौतम ! शरीरप्रमाणमात्र (विक्ख भवाहल्लेणं) विस्तार और बाहल्य से (आयामेग) लम्बाई से (जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्ज समोहयस तेयासरीरस्स के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता १) सन् ! भारान्ति સમુઘાતથી સમવહત સનકુમાર દેવના શરીરવગાહના કેટલી મેટી કહી છે?
(गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता विक्खंभवाहल्लेणं) विम भने माल्यथी शरीरना प्रभा भात्र (आयामेणं) मामा (जहण्णेणं अंगुलरस असंखेज्जइ भाग) धन्य शुसने असण्यातमा Ht (उक्कोसेणं अहे जाव महापायालाणं दोच्चे तिभागे) bट नीय यावत् महापाता। पीने त्रिनाn (तिरियं जाव सयंभूरमणे) तिस्थिय भू२भए समुद्र सुधा (उढं जाव अच्चुओ कप्पो) ५२ यावत् १२युत४८५ (एवं जाव सहस्सारदेवस्स) ये ४ारे ससार ३१ सुधा (अच्चुओ कप्पो) सश्युत८५
(आणय देवस्स णं भते ! मारगतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स) 3 भगवन्! भारति समुद्धातना समपन मानतवना तैसशरीरनी (के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?) मी मोटी शरीरावगाडन। ४ी छे ?
(गोयमा !सरीरप्पमाणमेत्ता) 3 गौतम ! शरीर प्रभार मात्र (विक्खंभबाहल्लेणं) विस्तार मन माझ्यथा (आयामेणं) माथी (जहूण्णेणं अंगुलस्स अस खेज्ज इभाग) ४५न्य मांगने।
श्री. प्रशाना सूत्र:४
Loading... Page Navigation 1 ... 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841