Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद २१ सू० ४ वैक्रियशरीरमेदनिरूपणम्
६७७ क्रियशरीरं, किंवा मनुष्य पञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं, किं वा देवपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? भगवानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'नेरइयपंचिंदियवे उब्वियसरीरे वि, जाय देवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे विनैरयिकपञ्चन्द्रिय वैक्रियशरीरमपि भवति, यायत तिर्यग्योनिक पश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरमपि, मनुष्यपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरमपि, देवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरमपि भवति, गौतमः पृच्छति-'जह नेरइय पंचिंदिय वेउब्वियसरोरे कि रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिदियवे उब्वियसरीरे जाय किं अहेसत्तमापुढविनेरइय पंचिंदियवेउब्धियसरीरे ?' हे भदन्त ! यदि नैरयिकपञ्चन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति तत् किं रत्नप्रभापृथिवी नरयिक पञ्चेनिद्रय क्रियशरीरं यावत्-किंवा शर्कराप्रभापृथिवीनैरयिक पश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं किंवा वालु. काप्रभापृथिवीनैरयिकपञ्चेन्द्रिय वैक्रियशरीरं किंवा पङ्कप्रभापृथिवी मैरयिकपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं किंवा धूमप्रभापृथिवी नैरयिकपश्चेन्द्रिय वैक्रियशरीरम् किंवा तमःप्रभापृथिवी नैरपिकपश्चेन्द्रिययैक्रियशरीरं किंवा अधःसप्तम पृथिवीनरयिकपञ्चेन्द्रियक्रियशरीरं भवति ? भगवावानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'रयणप्पभापुढविनेरइय पंचिंदिय येउवियसरीरे चि पाप का होता है अथवा देवपंचेन्द्रियों का होता है ?
भगवान-हे गौतम ! नारक पंचेन्द्रियों का भी वैक्रियशरीर होता है, यावत् तिघेच पंचेन्द्रियों का भी होता है, मनुष्य पंचेन्द्रियों का भी होता है
और देवपंचेन्द्रियों का भी होता है। ___ गौतमस्वामी-भगवन् ! यदि नारक पंचेन्द्रियों का वैक्रिपशरीर होता है तो क्या रत्नप्रभा पृथिवी के नारक पंचेन्द्रियों का होता है, क्या शर्कराप्रभा पृथ्वी के नारक पंचेन्द्रियों का होता है, क्या यालुकाप्रभा पृथ्वी के नारक पंचेन्द्रियों का होता है, पंकप्रभा पृथ्वी के नारक पंचेन्द्रियों का होता है, धूमप्रमा पृथ्वी के नारक पंचेन्द्रियों का होता है, तमःप्रभा पृथ्वी के नारक पंचेन्द्रियों होता है अथवा तमस्तमःप्रभा पृथ्वी के नारक पंचेन्द्रियों का होता है? પંચેન્દ્રિયના હોય છે, તિર્યંચ પંચેન્દ્રિયેને હોય છે, મનુષ્ય પંચેન્દ્રિના હોય છે અથવા દેવ પંચેન્દ્રિના હોય છે?
શ્રી ભગવાન-હે ગતમ! નારક પંચેન્દ્રિમાં પણ ક્રિયશરીર હોય છે, યાવત તિર્યંચ પંચેન્દ્રિયેના પણ હોય છે, મનુષ્ય પંચેન્દ્રિના પણ હોય છે અને દેવ પંચે ન્દ્રિના પણ હોય છે.
શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન ! યદિ નારક પંચેન્દ્રિયના વેકિયશરીર હોય છે તે શું રત્નપ્રભા પૃથ્વીના નાક પચેન્દ્રિયેના હોય છે, શું શર્કરા પ્રભા પૃથ્વીના નારક પદ્રિના હોય છે, શું તાલુકા પ્રભા પૃથ્વીના નારક પંચેન્દ્રિયના હોય છે, પંકપ્રભા પૃથ્વીના નારક પંચેન્દ્રિના હોય છે, ધૂમપ્રભા પૃથ્વીના નારક પંચેન્દ્રિના હોય છે, તમ પ્રભા પૃથ્વીના નારક પદ્રિના હોય છે, અથવા તમરામપ્રભા પૃથ્વીના નાક પચન્દ્રિયના હોય છે?
श्री. प्रशान। सूत्र:४