Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 771
________________ ७५८ प्रज्ञापनास्त्रे गौतम ? 'संजयसम्मदिदिपज्जत्तग संखेज्जवासाउय कम्मभूमगगब्भवतिय मणूस आहारगसरीरे नो असंजयसम्पदिद्विप जत्ता संखेज्जवासाउय कम्मभूमगगम्भक तिय मणूसाहारगसरीरे, नो संजय सम्मदिद्विपज्जत्तग संखेज्जवासाउय कम्मभूमगगमवक्कंतिय मणूसाहारगसरीरे' संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त कसंख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरं भवति नो असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तय संसयवर्षायुष्ककर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुव्याहारकशरीरं भवति नो वा संयतासंयतसम्यग्दृष्टि पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरं भवति, गौतमः पृच्छति-- 'जइ संजयसम्मदिटिपज्जत्तगसंखेज्जसाउय कम्मभूमगगब्भवतिय मणूसआहारगसरीरे कि पमत्तसंजय सम्मद्दिहि पज्जत्तम संखेज्जवासाउय कम्मभूमगगब्भवतिय मणूसाहारगसरीरे, अपमत्तसंजय सम्मद्दिष्टि पज्जत्तगसंखेजवा पाउय कम्मभूमगगभवक्कंतिय मणूसाहारगसरीरे?' यदि संयत सम्यग्रष्टि पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरं तत् किं प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टिपर्याप्त संख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकशरीरं भवति ? किंवा अप्रमत्तसंयतसम्यग्दृष्टिपर्याप्त कसंख्येयवर्षायुष्कर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याहारकसे है। देशविरति वाला संयतासंयत कहलाता है। ___भगवान्-हे गौतम ! संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है, असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर नहीं होता और न संयतासंपत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है। ___ श्री गौतमस्वामी-हे भगवन् ! यदि संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है तो क्या प्रमत्त संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमि के गर्भज मनुष्य का आहारकशरीर होता है अथवा अप्रमत्त संयन सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात શ્રીભગવાન –હે ગૌતમ ! સંયત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર હોય છે, અસંયત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર નથી હોતાં અને સંયતાસંત સમ્યદષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના પણ આહારક હોતા નથી. શ્રીગૌતમસ્વામી–હે ભગવન ! યદિ સંયત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર હોય છે, તો શું પ્રમત્ત સંવત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની અયુવાળા કર્મભૂમિના ગર્ભજ મનુષ્યના આહારકશરીર હોય છે અથવા અપ્રમત્ત સંયત સમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુવાળા श्री. प्रशान॥ सूत्र:४

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