Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
६८४
प्रज्ञापनासूत्रे च्छिम मणूस पंचिंदियवेउब्वियसरीरे, गम्भवक्कंतिय मणूसपंचिंदियवे उब्वियसरीरे ?' हे भदन्त ! यदि मनुष्यपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति तत् किं संमूच्छिममनुष्य पञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? किं वा गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? भगवानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'णो समुच्छिममणसपंचिंदियवेउब्बियसरीरे, मव्मवक्कंतियमणूसपंचिंदियवेउब्वियसरीरे' नो समूच्छिम मनुष्यपपश्चेद्रियवेक्रियशरीरं भवति, अपितु गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति, गौतमः पृच्छति'जइ गम्भवतियमणूसपंचिंदियवेउव्वियसरीरे किं कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचिदिपयेउब्वियसरीरे, अकम्मभूमगगम्भवक्कंतियमणूसपंचिंदियवेउब्वियसरीरे, अंतरदीवगगम्भवक्कंतियमणूसपंचिंदिययेउव्वियसरीरे ?' हे भदन्त ! यदि गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति, तरिक कर्मभूमिग गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरम्, किंवा अकर्मभूमिगगर्भव्युत्कान्तिकमनुष्यपश्चन्द्रियवैक्रियशरीरम्, किंवा अन्तरद्वीपकगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपश्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? भगवानाह-गोयमा !' हे गौतम ! 'कम्म
गौतमस्वामी-हे भगवन् ! यदि मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है तो क्या संमूर्छिम मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैफ्रियशरीर होता है अथया गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है ?
भगवान् हे गौतम ! संमूर्छिम मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर नहीं होता गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है।
गौतमस्वामी-हे भगवन् ! यदि गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों का चैक्रियशरीर होता है तो क्या कर्मभूमिज गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है, अथवा अकर्मभूमिज गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है अथवा अन्तरदीपज गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता है ? भगवान्-हे गौतम ! कर्मभूमिज गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय का वैक्रियशरीर
શ્રી ગૌતમસ્વામી-હે ભગવન્ ! યદિ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિયેના વૈકિયશરીર હોય છે તે શું સંમઈિમ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિયેના વૈકિયશરીર હોય છે અથવા ગર્ભજ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિના વૈકિયશરીર હોય છે?
શ્રી ભગવાન-હે ગૌતમ ! સંમૂઈિમ મનુષ્ય પચન્દ્રિયના વક્રિયશરીર નથી હતાં, ભજ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિના ક્રિયશરીર હોય છે.
શ્રી ગૌતમસ્વામી-હે ભગવન્! યદિ ગર્ભજ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિયના વેકિયશરીર હોય છે તે શું કર્મભૂમિજ ગર્ભજ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિયના વક્રિયશરીર હોય છે, અકર્મભૂમિજ ગર્ભજ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિયના વિઝિયશરીર હોય છે અથવા અન્તરદ્વીપ જ ગર્ભજ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિના વિઝિયશરીર હોય છે?
શ્રી ભગવાનડે ગતમ! કર્મભૂમિજ ગજ મનુષ્ય પંચેન્દ્રિયના વેકિયશરીર હોય
श्री. प्रशान। सूत्र:४