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.३२ योग आत्या ( अशुभ योग निन्दनीय भी है।) .३३ योग आत्मा और सप्रदेशी-अप्रदेशी .३४ योग आत्मा और उपयोग .३५ योग आत्मा और कार्य रूप-व्यापार .३६ योग आत्मा और नियमा-भजना .३७ योग आत्मा और आहार .३८ योग और स्नातक निर्ग्रन्थ .३६ योग और गुणस्थान .४० योग और आस्रव .४१ मिथ्यारष्टि में कितने योग
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१२६ १२६
१३२ १३४
१३४
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.०६ योग का नय और निक्षेप की अपेक्षा विवेचन
.१ नय की अपेक्षा योग का विवेचन .१ वचन योग और मनोयोग पर नय की अपेक्षा विवेचन .२ योग का निक्षेप की अपेक्षा विवेचन .२ द्रव्य योग और भाव योग .३ मनोयोग का मूल कारण
४ वचनयोग का मूल कारण .५ वे क्रियकाय योग की संभावना .५ सयोगी केवली के मनोयोग की संभावना .६ योग स्थान .७ द्रव्ययोग और स्थान .८ भाव योग और स्थान ..६.६ योग स्थान प्ररूपणा के कारण ०१ द्रव्य योग ( प्रायोगिक ) अजीव है, रूपी है
.११ द्रव्ययोग और प्रदेशावगाह-क्षेत्रावगाह .१२ द्रव्ययोग की स्थिति .१३ द्रव्ययोग और भाव | .१४ योगस्थान के दस अनुयोग द्वार .१५ औधिक सयोगी जीवों में अल्पवहुत्व .१६ योग और द्रव्य परिणाम ( एक द्रव्य की अपेक्षा ) .१ मनोयोगी और वचनयोगी तथा एक द्रव्य परिणाम .२ काययोगी और एक द्रव्य परिणाम .३ औदारिक काययोगी और एक द्रव्य परिणाम .४ औदारिकमिश्र काययोगी और एक द्रव्य परिणाम
.५ वैक्रिय-काय-योगी और एक द्रव्य परिणाम Jain Education International
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