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उपर्युक्त दस अनुयोगद्वारों में सर्वप्रथम अविभागप्रतिच्छेद प्ररूपणा के निर्देश करने का कारण है कि इसके अज्ञात रहने पर आगे के अधिकारों की प्ररूपणा करने का अन्य कोई उपाय नहीं है । इसके बाद वर्गणाप्ररूपणा करने का कारण यह है इसके अज्ञात रहने पर स्पर्द्धकों की प्ररूपणा नहीं की जा सकती है। स्पर्द्धकों के अज्ञात रहने पर अन्तरप्ररूपणा आदि जानने का कोई उपाय नहीं है । स्पर्द्ध कबहुत्व के कारणभूत अन्तर के अज्ञात रहने पर बहुत स्पर्द्धकों से अधिष्ठित स्थान आदि अनुयोगद्वारों की प्ररूपणा करने का कोई उपाय नहीं है । स्थानों के अज्ञात रहने पर अनन्तरोपनिधा आदि अनुयोग द्वारों की प्ररूपणा नहीं की जा सकती है। अनन्तरोपनिधा अवगत न होने से परम्परोपनिधा जानने का कोई उपाय नहीं है । परम्परोपनिधा के अज्ञात रहने पर समय, वृद्धि तथा अल्पबहुत्व जानने का कोई उपाय नहीं है । समयों के अज्ञात रहने पर अग्रिम अधिकारों का उत्थान नहीं हो सकता है । बुद्धि परूयणा के अज्ञात रहने पर अवस्थान काल जानने का कोई उपाय नहीं है । इस क्रम से प्ररूपित सभी अधिकारों के अल्पबहुत्व को समझाने के लिए अल्पबहुत्व की प्ररूपणा की गई है ।
.०१५ औधिक सयोगी जीवों में अल्पबहुत्व :
(क) एएसिणं भंते! जीवाणं सजोगीणं मणजोगीणं वइजोगीणं कायजोगीणं अजोगीणय कयरेकयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहि यावा, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणजोगी, वइजोगी असंखेजगुणा, अजोगी अनंतगुणा, काययोगी अनंतगुणा, सजोगी विसेलाहिया ।
- पण्ण० प० ३ | पृ० २५५
सबसे कम मनोयोगी वाले जीव होते हैं, उनसे वचनयोगी वाले जीव असंख्यातगुणे होते है, उनसे योग रहित ( अयोगी ) जीव अनंतगुणे हैं, उनसे काययोगी वाले जीव अनंतगुणे हैं तथा उनसे सजोगी जीव विशेषाधिक है ।
(ख) सम्वत्कोया अजोगी सजोगी अनंतगुणा ।
-जीवा० प्रति ६ | पृ २५१ योगी जीव सबसे कम तथा सयोगी जीव उनसे अनंतगुणे हैं । .०१६ योग और द्रव्य परिणाम ( एक द्रव्य की अपेक्षा ) .०१ मनोयोगी और वचनयोगी तथा एक द्रव्य परिणाम
( एगे भंते ! दव्वे किं पयोगपरिणय x x x ) जइ पयोगपरिणए कि मणपयोगपरिणवा, वयप्पयोगपरिणए वा, कायप्पओग परिणए XXX वा । मणपओगपरिणए कि सचमणप्पओगपरिणए, मोलमणप्पयोगपरिणए, सच्चा मोसम गप्प योगपरिणए, असच्चामोसमणप्पओगपरिणए ? गोयमा ! सच्च
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