Book Title: Yoga kosha Part 1
Author(s): Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 418
________________ इसमें मूल श्वेताम्बर जैन आगमों तो सामग्री ली ही गई है और आगमों की टीकाओं-नियुक्ति, भाष्य, चर्णि, संस्कृत का से भी सामग्री एकत्र की गई है। इतना ही नहीं उसके अलावा दिगम्बर मौलिक ग्रन्थों कसाय-पाहुड आदि का भी उपयोग किया गया है इतना ही नहीं किन्तु श्वेताम्बर और दिगम्बर पुराणों और आचार्यों द्वारा लिखित संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश भाषा में लिखे गए महावीर के चरित ग्रन्थों से भी सामग्री का संकलन किया गया है। इस तरह यह वास्तविक रूप से 'वर्धमान जीवन कोश' नाम को सार्थक करता है। -दलसुख मालपणिया __ वर्धमान जीवन कोश प्रथम भाग में मनीषी लेखक ने च्यवन से परिनिर्वाण तक सामग्री को सजाया है। बड़ी सजगता से विषय का प्रतिवादन हुआ है -कस्तुरचंद ललवानी सर्वांगीण रूप से 'वर्धमान जीवन कोश' में भगवान महावीर के जीवन वृत्त का प्रतिपादन हुआ है। -बच्छराज संचेती मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास पर प्राप्त समीक्षा विद्वान लेखक ने 'मिथ्यात्वी के आध्यात्मिक विकास विषय पर शोधपूर्ण सामग्री प्रस्तुत की है । इसके लिए लेखक बधाई के पात्र है । -कस्तुरचंद बलवानी मनीषी लेखक ने 'मिथ्यात्वी के आध्यात्यिक विकास के संबंध में शोधपूर्ण सामग्री प्रस्तुत की है। -जबरमल भंडारी श्रीचंदजी चोरडिया ने मिथ्यात्वी की शुद्ध क्रिया से जिज्ञासा के अन्तर्गत अनेक उद्धरणों से सिद्ध किया है। इसके लिए वे बधाई के पात्र है। -सूरजमल पुराना 'मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास पुस्तक से पढ़कर हृदय गद्-गद् हुआ। बड़े मनोयोग से चिन्तन पूर्वक पुस्तक लिखी है। मानो मैं एक उपन्यास पढ़ रहा हूँ। डॉ० राजाराम जैन ___ मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास' पुस्तक पढ़कर यह अनुभूति हुई कि सदक्रियाओं से मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास होता है । इसमें दो मत नहीं है। जिनेश मुनि श्री चोरड़ियाजी ने इस विषय में जो परिश्रम किया है वह धन्यवाद के पात्र है। यह ग्रंथ इसके पूर्व प्रकाशित लेश्या-कोश, क्रिया-कोश की कोटिका ही है। इन ग्रंथों में भी चोरडियाजी का सहकार था। हमें आशा है कि वे आगे भी इस कोटि के ग्रंथ देते रहेंगे। विशेषता यह है कि आगामों में जितने भी अवतरण इस विषय में उपलब्ध थेउनका संग्रह किया है। इतना ही नहीं आधुनिक काल के ग्रन्थों के भी अवतरण देकर ग्रंथ को संशोधकों के लिए अत्यन्त उपादेय बनाया है- इसमें सन्देह नहीं है। .. दलसुख मालपणिया, अहमदावाद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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