________________
( १४४ )
योगपरिणए चा, मोसमणपयोगपरिणए वा सच्चामोस मणप्पओगपरिणए वा, असश्वामोसमणप्पओगपरिणए वा ।
जद्द सश्चमणप्पओगपरिणए कि आरंभसञ्चमणप्पयोगपरिणए, अणारंभचमणपयोगपरिणय, सारंभसच्च मणप्पओगपरिणए, असारंभसश्च मणप्पयोगपरिणए, समारंभसच्च मणप्पओगपरिणए, असमारंभसश्चमणप्पओगपरिणए ? गोयमा ! आरंभसश्चमणष्पओगपरिणए वा, जाव असमारंभसश्चमणप्पओगपरिणए वा ।
जइ मोसमणपयोगपरिणए कि आरम्भमोसमणप्पओगपरिणए वा ? एवं जहा सच्चे तहा मोसेण वि एवं सच्चामोसमणप्पयोगेण वि, एवं असच्चामोसमणप्पओगेण वि ।
जइ वइप्पओगपरिणए किं सच्चचइप्पओगपरिणए, मोसवइप्पओगपरिणए ? एवं जहा मणप्पओगपरिणए तहा वयप्पयोगपरिणए बि, जाव असमारंभवइप्पओगपरिणए वा । - भग० श दाउ १२८-३३
(१) एक द्रव्य प्रयोग परिणत होता है, अथवा मिश्र-परिणत होता है, अथवा विसा परिणत होता है ।
(२) यदि एक द्रव्य प्रयोग परिणत होता है तो वह मन प्रयोग- परिणत होता है, अथवा वचनप्रयोग होता है अथवा कायप्रयोग-परिणत होता है ।
(३) यदि एक द्रव्य मनप्रयोग-परिणत होता है तो वह सत्यमनप्रयोग- परिणत होता है, अथवा मृषामनप्रयोग-परिणत होता है अथवा सत्यमृषामनप्रयोग - परिणत होता है, अथवा असत्यामृषामनप्रयोग परिणत होता है ।
(४) यदि एक द्रव्य, सत्यमनप्रयोग-परिणत होता है तो वह आरम्भ सत्यमनप्रयोगपरिणत होता है, अथवा अनारम्भ सत्य मनप्रयोग-परिणत होता है, अथवा सारम्भ सत्यमनपरिणत होता है, असारम्भ सत्यमनप्रयोग- परिणत होता है, समारंभ सत्यमनप्रयोग - परिणत होता है या असमारंभ सत्यमनप्रयोग - परिणत होता है ।
जिस प्रकार सत्यमनप्रयोग - परिणत के विषय में कहा है, उसी प्रकार एक द्रव्य, मृषामनप्रयोग परिणत के विषय में जानना चाहिए ।
इसी प्रकार सत्यमृषामनप्रयोग- परिणत के विषय में एवं असत्यामृषामनप्रयोग- परिणत के विषय में भी जानना चाहिए ।
जिस प्रकार मनप्रयोग-परिणत के विषय में कहा है, उसी प्रकार वचनप्रयोग - परिणत के विषय में भी जानना चाहिए। यावत् वह एक द्रव्य असमारम्भ वचनप्रयोग-परिणत होता है यहाँ तक कहना चाहिए ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org