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'१५-०३-०४ निवृत्तिपर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय में
सुहुमषाऊणं सुहुमते भंगो । - षट् खं १, १ । टीका । पृ २ | पृ० ६१२
औधिक निवृत्तिपर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - तीन योग होते हैं ।
-दो
अपर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय में औदारिक मिश्र और कार्मणकाय --: योग होते हैं ।
पर्याप्त निवृत्तिपर्यंत सूक्ष्म वायुकाय में एक औदारिक काययोग होता है ।
*१५:०४ बाद वायुकाय में
- षट्० खं० १, १ । टीका | २ | पृ० ६११
बादर वायुकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - तीन योग होते हैं । '१५०४०१ अपर्याप्त बादर वायुकाय वाकाइयाणं तेज-भंगो ।
में
वाडकाइयाणं तेउ-भंगो ।
० खं १, १ । टीका । २ । पृ० ६११
- षट् ०
अपर्याप्त बादर वायुकाय में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - दो योग होते हैं । १५०४०२ पर्याप्त बादर वायुकाय में वाउकाइयाणं तेउ-भंगो ।
-षट् ०
पर्याप्त बाद वायुकाय में एक औदारिक काययोग होता है ।
० खं १, १ । टीका । पु २ । पृ० ६११
१५०४०३ लब्धि - अपर्याप्त बादर बायुकाय में
वाकाइयाणं तेउ-भंगो ।
-- षट्० खं १, १ । टीका । पु२ | पृ० ६११
लब्धि अपर्याप्त बादर वायुकाय में औदारिक मिश्र और कार्मणकाय -- दो योग
होते हैं।
- १५०४०४ निवृत्तिपर्याप्त बादर वायुकाय वाकाइयाणं तेज - भंगो ।
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में
-षट्० खं १,
औधिक निवृत्तिपर्यंत बादर वायुकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - तीन योग होते हैं ।
१ । टीका । पु २ | पृ० ६११
अपर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त बादर वायुकाय में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - दो योग होते हैं ।
पर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त बादर वायुकाय में एक औदारिक काययोग होता है ।
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