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अपज्जन्ताणं x x x तिण्णि जोग x x x | तेउलेस्सा-संजदासंजदाणं xxx णव जोग x x x । तेउलेस्सा- पमत्तसंजदाणं xxx एगारह जोग x x x |
ते उलेस्सा - अप्पमत्तसंजदाणं x x x णव जोग x x x ।
- षट्० खं १ । १ । पु २ | पृ० ७६८-७६ तेजोलेशी में पन्द्रह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में ग्यारह योग (वैक्रियमिश्र काययोग, औदारिक मिश्र काययोग, आहारकमिश्र काययोग, कार्मण योग को छोड़कर) तथा अपर्याप्त मैं चार योग होते हैं ( ओदारिक मिश्र, वैक्रियमिश्र, आहारकमिश्र, कार्मण काययोग ) । तेजोलेश्या मिथ्यादृष्टि में बारह योग होते है - औदारिकमिश्र काययोग के बिना । इनके पर्याप्त में दस योग व अपर्याप्त में दो योग होते हैं ( वै क्रियमिश्र काययोग और कार्मण काययोग | तेजोलेशी सास्वादान सम्यग्दृष्टि में औदारिक मिश्र काययोग के बिना बारह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में दस योग, अपर्याप्त में दो योग होते हैं। तेजोलेशी सम्यग्मिथ्यादृष्टि में दस योग होते हैं। तेजोलेशी असंयत सम्यग्दृष्टि में तेरह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में दस योग, अपर्याप्त में तीन योग होते हैं । तेजोलेशी संयतासंयत में नौ योग, तेजोलेशी प्रमत्त संयत में ग्यारह योग ( ४ मन के, ४ वचन के, औदारिक, आहारक, वैक्रिय काययोग ) होते हैं। तेजोलेशी अप्रमत्तसंयत में नौ योग होते हैं।
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• ८३ पद्मलेशी में
पम्मले साणं भण्णमाणे X X X पण्णारह जोग x x x । तेसिं चेव पज्ज - ताणं xxx एगारह जोग XX X। तेसिं चेच अपजत्ताणं x x x चत्तारि जोग xxx । पम्पलेस्सा-मिच्छाइट्ठीणं x x x ओरालिय मिस्सेण विणा बारह जोग xxx | तेसि वेव पजत्ताणं X X X दस जोग X XX। तेसिं चेव अपजत्ताणं XXX दो जोग XX X | पम्मलेस्सा - सासणसम्माइट्ठीणं x x x बारह जोग XXX | तेर्सि वेब पज्जत्ताणं X X X दस जोग XX X | तेसि वेव अपज्जताणं x x x दो जोग । पम्मलेस्सा- सम्मामिच्छा इट्ठीणं x x x दस जोग xxx । पम्मलेस्सा - असं जदसम्माइठ्ठीणं X X X तेरह जोग x x x | तेर्सि वेब पज्जत्ताणं Xxx दस जोग X X X | तेसिं चेव अपज्जन्ताणं X X X तिष्णि जोग XX X | पम्मले स्सा-संजदासंजदाणं X X X णव जोग XX X | पम्मलेस्ला - पमत्तसंजदाणं XX X एगारह जोग X XX | पम्मलेस्सा - अप्पमन्तसंजदाणं XX X णव जोग X X X - षट्० खं १ । १ । २ । पृ० ७७६-६०
पद्मलेसी जीव में पन्द्रह योग होते हैं । उनके पर्याप्त में ग्यारह योग तथा अपर्याप्त में चार योग होते हैं । पद्मलेशी मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में औदारिक मिश्र काय योग के बिना बारह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में दस योग, अपर्याप्त में दो योग होते हैं- वैक्रिय मिश्र काययोग तथा काम काय योग । पद्मलेशी सास्वादान सम्यग्दृष्टि — गुणस्थान में बारह
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