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( २४० )
जो जीब है (
पजत्तअसन्निपंचिदियतिरिषख जोणिए णं भंते! जे
?
भविए असुरकुमारेसु उवधिज्जित्तए XXX तेणं भंते ! जीवा ! एवं रणभागमगसरिसा णववि गमा भाणिवन्वा x x x अवसेसं तं ) उनमें तीनों योग होते हैं ।
-भग० श २४ । २ । सू २-३
'९६'८२. असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीबों जो जीव है ( असंखेजवा साउयसन्निपंचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उवषज्जित्तए x x x तेणं भंते ! जीवा पुच्छा x x x जोगो तिविहे × × × ) उनमें योग तीनों होते हैं । -भग० श २४ । उ २ । सू ५-१५
'९६'८'३ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :---
गमक १ से ९ - पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव है ( पजत्तसंखेजवा साउथ सम्निपचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उवषजित्तए × × × तेणं भंते ! जीवा X Xxएवं एएसि रयणप्पभपुढ विगमगसरिसा नव गमगा णेयव्वा x x x 1 ) उनमें तीनों योग होते हैं ।
- भग० श २४ । २ । सू १६, १७
'९६'८४ असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक १ से ९ - असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव है ( असंखेजवालाउयसन्नि मणुस्से णं भंते ! जे भबिए असुरकुमारेसु उवचज्जित्तए xxx एवं असंखेज्जघा साउयतिरिक्ख - जोणिय सरिसा आदिल्ला तिन्नि गमगा णेयव्वा XXX ) उनमें तीनों योग होते हैं । -भग० श २४ । २ । सू २०-२२ '९६°८'५ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्य से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीत्रों में ( पज्जत्तसंखेज्जवासाज्यसन्नि मणुस्से णं भंते! जे भषिए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए XXX तेणं भंते ! जीवा ? एवं जब एएसिं रयणप्पभाए उववज्जमाणाणं णच गमगा तहेब इह विणय
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