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faraकि कंदुकण्ह कउडसुमहुपयलइ महुसिंगिणिसहारुष्पसुगंधछिण्ण रुहा atree हाणं एएसिं णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं मूलदीया दस उद्देस सगा कायव्वा वंसवग्गसरिसा ।
-भग० श २३ व १
आलुक, मूल, आदु, हलदी, सस, कण्डरिक, जीरु, क्षीरविराली, किट्टी, कुन्दु, कृष्ण, कडसु, मधु, पयलइ, मधुसिंगी, निरुहा, सर्प सुगंधा, छिन्नरुहा, बीजरुहा इनके मूल यावत् बीज में काययोगी होते हैं ।
• १५ लोही आदि वनस्पति काय में
अह भंते ! लोही णीहू थीहू थिभगा अस्सकण्णी सोहकण्णी सीउ ढी संढी पसि णं जे जीवा मूलत्ताए बक्कमंति एवं एत्थवि दस उद्देसगा जहेच आलुयवग्गा ।
-- भग० श २३ । व १
लोही, नीहू, थी, थिभगा, अश्वकर्णी, सिंहकर्णी, सीउद्धी, मुसुंदी, इनके मूल यावत बीज के जीव काययोगी होते हैं ।
.१६ आय आदि वनस्पति काय में
अह भंते ! आय काय कहुणा कुंदुरुक्क उव्वेहलिय सफासजा छत्तावंसाणिय कुमाराणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए एवं एत्थषि मूलादीया दस उद्देगा निरवसेसं जहा आलुवग्गो ।
- भग० श २३ । व ३
आय, काय, कुहुणा, कुन्दुरुक्क उव्वेहलिय, सफा, सेज्जा, छत्रा, वंशानिका, कुमारी इनके मूल यावत् बीज काययोगी होते हैं ।
-१५.१७ पाठा आदि वनस्पति काय में
अह भंते! पाढामिय वालुंकिमहुररसा रासवल्लिय उमामोंढरिदति चंडीणं एएसि णं जे जीवा मूल एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा आलुयवग्गसरिसा ।
- भग० श २३ । व ४
पाठा, मृगवालुंकी, मधुररसा, राजवल्ली, पद्मा, मोढकी, दंती, चंदी इनके मूल यावत वीज में काययोगी होते हैं ।
. १८ अह भंते ! मासवण्णी मुग्गपण्णी जीवगसरिसवकरेणुय काओलिखीरकाकोलि भंगिणहि किमिरासि भद्दमुच्छणंगलइ पओय किंणापडलपाढेहरेणुया लोहीणं एएसि णं जे जीबा मूल० एवं एत्थवि दस उद्देसगा निरवसेसं आलुयषग्गसरिसा |
- भग० श २३ । व ५.
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