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( २३८ ) घासाउयसन्नि पंचिंदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते! जे भषिए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववजित्सए xxxतेणं भंते! जीवा x x x एवं जहेव रयणप्पभाए उवषज्जंतग (मग) एस लद्धी सच्चेष निरवसेसा भाणियव्वा जाव-भषाएसो' त्ति। xxx एवं रयणप्पभपुढविगमसरिसा णवहि गमगा भाणियव्वोxxx एवं जाव छटपुटवि त्ति ) उनमें तीनों योग होते हैं ।
-भग° श २४ । उ १ । सू ७४-७५,
.९६३१-गमक १ से ९--पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संशी मनुष्य से बालुका प्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव है ( पजत्तसंखेजपासाउयसन्निमणस्से णं भंते ! जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइए सु जाव-उववजित्तए x x x तेणं भंते । सो चेव, जाव-भवाएसो त्ति x x x एवं एसा ओहिएसु तिसु गमए सु मणुसस्स लद्धी x x x। सो चेव अप्पणा जहन्नकाल द्विइओ जाओ, तस्सवि तिसुधि गमएसु एस चेव लद्धी। x x x सेसं जहा ओहियाणं सो चेव अप्पणा उक्कोसकालढिईओ जाओ। तस्सधि तिसुधि गमएसुx xx सेसं जहा पढमगमए ।xxx। एवं जाव छ? पुढवि) उनमें नव ही गमकों में तीनों योग होते हैं।
-भग० श २४ । उ १ । सू १०१-१०४ ९६४ पंक प्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
•९६४.१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संशी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से
पंक प्रमा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव है ( देखो पाठ ६६३१) उनके तीनों योग होते हैं।
-भग० श २४ । उ १ । सू ७४-७५
'१६'४.२ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु पाले संही मनुष्य से पंक प्रभा पृथ्वी के
नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक १ -पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु पाले संझी मनुष्य से पंकप्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य नो जीव है ( देखो पाठ ६६३२) उनमें तीनों योग होते हैं।
-भग श २४ । उ १ । सू १०१-१०४
६६५ धूम प्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :१६५१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संक्षी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से
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