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( २५६ ) ...... (एवं बभलोगदेवाणं वि वत्तव्यया) उनके नव गमकों में ही तीनों योग होते हैं।
-भग• श २४ । उ २४ । सू १८
.६६.२७ लांतक से सहस्रार देवों से उत्पन्न होने योग्य जीवों में
पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी तिर्यच पंचेन्द्रिय व संज्ञी मनुष्य में लांतक, महाशुक्र तथा सहस्रार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक १-९ जहा सणकुमारगदेवाणं वत्तव्षया तहा माहिदगदेवाणं भाणियव्वा x x x एवं जाव सहस्सारो) उनके नौ गमकों में ही तीनो योग होते है।
-भग श २४ । उ २४ । सू १९ १६.२८ पर्याप्त संज्ञी मनुष्यों से आनत-प्राणत-आरण-अच्युत देवों में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में
गमक १-६ पजत्तसंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेणं भंते ! जे भविए आणयदेवेषु उवधज्जित्तए ०१ मणुस्साण य वत्तव्वया अहेव सहस्सारेसु उवषजमाणाणं xxx एवं जाव अच्चुयदेवा ) उनके नव गमकों में ही तीनों योग होते है ।
-भग० श २४ । उ० २४ । स२. १६.२६ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संशी मनुष्य से ग्रेवेयक देवों में उत्पन्न होने
योग्य जीवों में
गमक १६ गेवजगदेवाणं भंते! xxx । एसचेष वत्तवया) उनके नव गमकों में तीन योग होते हैं ।
-भग• श २४ । उ २४ । सू २१ .९६.३० पर्याप्त संख्यात वर्ष वाले संशी मनुष्य से विजय, वैजयंत, जयंत, अपराजित देषों
में उत्पन्न होने वाले जीवों में
विजय - वेजयंत - जयंत - अपराजियदेवाणं भंते । एस० चेष पत्तब्धया निरवसेसा xxx । मणुस्सेजद्धी वसुवि गमएसु जहा गेवेज्जेसु उषषजमाणल्स xxx ।) उनके नौ गमकों में तीन योग होते है।
-भग श २४ । उ २४ । सू २२
१६.३१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संशी मनुष्य से सर्वार्थ सिद्ध देवों में उत्पन्न होने
योग्य जीवों में
गमक १-४-७ सघट्टसिद्धदेवा xxx सेणं भंते! अवसेसा जहा
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