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कल्योज योज
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कल्योज द्वापर युग्म १६ कल्योज - कल्योज
एक्को गमओ ।
( २५८ )
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xxx सेसं तहेब जाव अणंतक्खुत्तो। एवं एएसु सोलससु महाजुम्मेसु
- भग० श ३५ । श १ । उ १
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ये सब एकेन्द्रिय जीव मनोयोगी- वचनयोगी नहीं होते हैं । काययोगी होते हैं । ६७१७ प्रथम समय उत्पन्न कृतयुग्म कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय यावत् प्रथम समय उत्पन्न कल्योज कल्योज राशि एकेन्द्रिय ।
( पढम-समय कडजुम्मकडजुम्म एगिंदिया ) एवं जद्देव पढमो उद्देसओ तब सोलसखुत्तो विइओ वि माणियन्बो, तहेब सव्वं । xxx
-भग० श ३५ । श १ । उ २
प्रथम समय उत्पन्न कृतयुग्म कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय आदि सोलह युग्म - काययोगी होते हैं, मनोयोगी - वचनयोगी नहीं होते हैं ।
६७१८ अप्रथम समय के कृतयुग्म कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय आदि सोलह महायुग्म एकेन्द्रिय में ।
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( अपढम समय कडजुम्मकडजुम्मएगिदया ) एसो जहा पढमुद्देसो सोलसाह विजुम्मेसु तहेव णेयब्धो जाच कलिओग-कलिओगत्ताए जाब अत्तखुत्तो ।
भग० श ३५ । श १ । उ ३
अप्रथम समय के कृतयुग्म कृतयुत्रम राशि एकेन्द्रिय यावत् कल्पोज कल्पोज राशि एकेन्द्रिय में मनोयोग-वचनयोग नहीं होते हैं, काययोग होता है ।
*६७१६ चरम समय कृतयुग्म - कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय आदि सोलह महायुग्म में योग-( चरम समय कडजुम्मकडजुम्म एगिदिया )
एवं जहेव पढमसमय
उद्देओ ।
-भग० श ३५ । श १ | उ ४
चरम समय कृतयुग्म - कृतयुग्म आदि सोलह महायुग्म एकेन्द्रिय में काययोग होता है ।
*१७°२० अचरय समय कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय में योग
( अचरमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया, जहा अपढम समय उद्देस्सो तव णिरवसेओ भाणियन्बो ।
- भग० श ३५ । उ ५
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