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( २६२ )
२ प्रथम समयोत्पन्न कृतयग्म कृतयुग्म द्वीन्द्रिय में योग
( पढम समय कडजुम्मकडजुम्म बेई दिया ) णो मणजोगी, णोवयजोगी, काययोगी । × × × । एवं एए बिजहा एगिंदिय महाजुम्मेसु एक्कारस उद्देगा तहेव भाणियव्या । - भग० श ३६ । श १ । उ २ से ११
प्रथम समय समयोत्पन्न कृतयुग्मकृतयग्म द्वीन्द्रिय में काययोग होता है ।
चरम समय उत्पन्न आदि आठ उद्देशक में काययोग होता है ।
* १०२ महायुग्म तेइन्द्रिय में योग
* १ कृतमुग्म कृतयुग्म तेइन्द्रिय जीव और योग
( कडजुम्मकडजुम्म तेइंदिया )
एवं तेइ दिएसुचिबारस सयाकायव्वा बेई दियसयसरिसा । x x x सेसं
तदेव |
--भग० श ३७
कृतयुग्मकृतयुग्म तेइन्द्रिय जीवों के ग्यारह शतक है । १६ महायग्म में मनोयोगी नहीं होते हैं । वचनयोगी - काययोगी होते है । प्रथम समय समुत्पन्न में सिर्फ काययोगी होते हैं ।
१०३ महायुग्म चतुरिन्द्रिय में योग
चतुरिन्द्रिय कृतयुग्मकृतयुग्म में योग
चरिदिएहि वि एवं चेव बारस सया कायव्या । xxx सेसं जहा बेदि याणं ।
-भग० श ३८
इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय कृतयुग्मकृतयुग्य में मनोयोगी नहीं होते हैं । वचनयोगी व काययोगी होते हैं । प्रथम समयोत्पन्न चतुरिन्द्रिय में आदि आठ उद्देशक में सिर्फ काययोगी होते हैं ।
• १०४ महायुग्म असंज्ञी तियच पंचेन्द्रिय में योग
* १ कृतयुग्मकृतयुग्म असंशी तिर्यंच पंचेन्द्रिय में योग
( कडजुम्मकडजुम्मअसणि पंचिदिया जहा बेह दियाणं तहेब असण्णिसु
- भग० शः ३६
बि बारस या कायश्वा xxx । सेसं जहा बेई दियाणं ।
कृतयुग्मकृतयुग्म असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव मनोयोगी नहीं होते हैं । काययोगी होते हैं । १६ महायुग्म ऐसा ही है ।
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वचन योगी व
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