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तथा उपपात के अतिरिक्त निम्नलिखित बीस विषयों से विवेचन हुआ है :
१- स्थिति
४ - शरीरावगाहना
७- दृष्टि
१० - उपयोग
१३ - इन्द्रिय
१६ – वेद
१९ - कालादेश तथा
२ - संख्या
५- संस्थान
८- ज्ञान
११ - संज्ञा
१४- समुद्घात
१७ - कालस्थिति
२०- भवादेश
३- संहनन ६- लेश्या
- योग
९
१२- कषाथ
१५ - वेदन
१८ - अध्यवसाय
हमने योग की अपेक्षा से पाठ ग्रहण किया है। गमकों का विवरण नीचे में देखें ।
.९६ किसी एक योनि से स्व/ पर योनि से उत्पन्न होने योग्य जीवों में कितने योग १
. ९६.१ रत्नप्रभा पृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
:
१ - इस विवेचन में निम्नलिखित नौगमकों की अपेक्षा से वर्णन किया गया है : (१) उत्पन्न होने योग्य जीव की औधिक स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की औधिक स्थिति |
(२) उत्पन्न होने योग्य जीव की औधिक स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की जघन्य काल स्थिति ।
(३) उत्पन्न होने योग्य जीव की औधिक स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की उत्कृष्ट काल स्थिति ।
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(४) उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीब की औधिक स्थिति |
(५) उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य स्थिति यथा उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य काल स्थिति |
(६) उत्पन्न होने योग्य जीव की जघन्य काल स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की उत्कृष्ट काल स्थिति ।
(७) उत्पन्न होने योग्य जीव की उत्कृष्ट काल स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की औधिक काल स्थिति ।
(८) उत्पन्न होने योग्य जीव की उत्कृष्ट काल स्थिति तथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की जघन्य काल स्थिति ।
(६) उत्पन्न होने योग्य जीव की उत्कृष्ट काल स्थिति धथा उत्पन्न होने योग्य जीव स्थान की उत्कृष्ट काल स्थिति ।
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