________________
( १६६ ) .२१ तिर्यच पंचेन्द्रिय में
पंचिंदिय-तिरिक्खाणं भण्णमाणे x x x एगारह जोग x x x। तेसि चेव पजत्ताणं xxx णव जोग xxx । तेसिं चेव अपजत्ताणं xxx वे जोग xxx। पंचिंदियतिरिक्ख-मिच्छाइट्ठीणं x x x एगारह जोग x x x । तेसि चेव पजत्ताणं xxx णव जोग xxx| तेसि चेव अपजत्ताणं x x x वे जोग x x x | पंचिदिय. तिरिक्ख-सासणसम्माइट्ठीणं xxx एगारह जोग xxx| तेसि चेव पजत्ताणं xxx णव जोग x x x | तेर्सि चेव अपजत्ताणं x x x दो जोग x x x | पंचिदियतिरिक्ख-सम्मामिच्छाइट्ठीणं x x x णव जोग x x x। पंचिदियतिरिक्ख-असंजदसम्माइट्ठीणं x x x एगारह जोग x xx। तेसिं चेव पजत्ताणं x x x णव जोग x x x | तेसिं चेष अपजत्ताणं xxx दो जोग x x x | पंचिंदियतिरिक्खसंजदासंजदाणं x x x णव जोग x x x |
-षट ० खं० १, १ । पु २ । पृ० ४८२-६१
पंचेन्द्रिय तिर्य च में ग्यारह योग होते हैं ( ४ मन के, ४ वचन के, औदारिक, औदारिकमिश्र व कार्मण)।
इसके अपर्याप्त में दो योग होते हैं-औदारिक मिश्र व कामण। पर्याप्त में नव योग होते हैं।
पंचेन्द्रिय तिर्यच मिथ्या दृष्टि में ग्यारह योग होते हैं । अपर्याप्त में दो योग, पर्याप्त में नव योग होते हैं।
सास्वादान सम्यग्दृष्टि तिय च पंचेन्द्रिय में ग्यारह योग होते हैं। अपर्याप्त में दो योग, पर्याप्त में नव योग होते हैं ! तिर्यंच पंचेन्द्रिय सम्मामिथ्यादृष्टि में नव योग होते हैं । पंचेन्द्रिय तिर्यच असंयत सम्यग्दृष्टि में ग्यारह योग होते हैं । पर्याप्त में नव, अपर्याप्त में दो योग होते हैं। संयतासंयत पंचेन्द्रिय तिर्यच में नव योग होते हैं ।
.२२.१ तिर्यच पंचेन्द्रिय-स्त्री जीव में
पंचिंदियतिरिक्खजोणिणीणं भण्णमाणे x x x एगारह जोग xxxi तासिं चेव पजत्तजोणिणीणं x x x णव जोग xxx। पंचिंदियतिरिक्खअपजत्त. जोणिणी] x xx दो जोग xxx। पंचिदियतिरिक्खजोणिणी-मिच्छाइट्ठीणं xxx एगारह जोग xxx। पजत्तपंचिंदियतिरिक्खजोणिणी-मिच्छाइट्ठीणं xxx णव जोग x x x | तासिमपजत्तीणं xxx वे जोग xxx| पंचिदियतिरिक्खजोणिणो-सासणसम्माइट्ठीणं x x x एगारह जोग x xx। तासि चेव पजत्तीणं x x x णब जोग xxx| तासिमपजत्तीणं xxx दो जोग xxx।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org