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Sarfararti मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में कार्मणकाययोग होता है। कार्मणकाययोगी सास्वादान सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में कार्मणकाययोग होता है । कार्मणकाययोगी असंयत गुणस्थान में कार्मणकाययोग होता है तथा कार्मणकाययोगी सयोगी गुणस्थान में कार्मणका योग होता है ।
.५४ अयोगी में
सुगममजोगीणं ।
-- षट्० खं० १, १ । पृ २ | पृ० ६७२
अयोगी - अयोगी केवली गुणस्थान अयोग -- योग रहित होता है । •५५ सवेदी में
वेदाणुवादेण अणुवादो जहा मूलोघो णीदो तहा णेदन्धो ।
-- षट् ० ० खं० १, १ । २ । पृ० ६७२
सवेदी में प्रथम नौ गुणस्थान होते हैं सवेदी जीव में पन्द्रह योग होते हैं । .५६ स्त्रीबेदी में
इत्थवेदाणं भण्णमाणे x x x आहार - आहार मिस्सकायजोगेहि विणा तेरह जोग x x x । तेसि चेव पज्जत्ताणं x x x दस जोग x x x । इत्थिवेद - अपज्जत्ताणं xxx तिष्णि जोग x x x | इस्थिवेद-मिच्छाइट्ठीणं x x x तेरह जोग x x x | तेसिं चेव पत्ताणं xxx दस जोग x x x । तेसिं चेव अपजत्ताणं x x x तिण्णि जोग x x x । इत्थिवेद- सासणसम्माइट्ठीणं x x x तेरह जोग x x x । तेसिं चेब पजत्ताणं x x x दस जोग x x x । तेसिं चेव अपजत्ताणं x x x तिण्णि जोग xxx । इत्थिवेद - सम्मामिच्छाइट्ठीणं x x x दस जोग x x x | इत्थिवेद-असंजदसम्माइट्ठीणं xxx दस जोग x x x । इत्थिवेद-संजदासंजदाणं णव जोग xxx । इस्थिवेद - पमत्तसंजदाणं x x x णव जोग, आहारदुगं णत्थि x x x इत्थिवेद - अप्पमत्त संजदाणं x x x णव जोग x x x | इस्थिवेद - अपुव्वयरणाणं xxx णव जोग x x x 1 इत्थिवेद - अणियद्वीणं x x x णव जोग xxx | - षट् • खं १, १ । पृ २ । पृ० ६७३-८३
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स्त्री वेदी जीव में आहारक आहारकमिश्र काययोग के बाद देकर तेरह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में दस योग होते हैं । ( आहारक, आहारकमिश्र, वैक्रियमिश्र, औदारिक मिश्र, कर्मकाययोग छोड़कर दस योग ), अपर्याप्त स्त्री वेदी में तीन योग वैक्रियमिश्र काययोग औदारिकमिश्र तथा कामंणकाय योग ) होते हैं । मिथ्यादृष्टि स्त्रीवेदी में तेरह योग होते हैं । इनके अपर्याप्त दस योग व अपर्याप्त में तीन योग होते हैं । स्त्री वेदी सास्वादान सम्यग् - दृष्टि गुणस्थान में तेरह योग । इनके पर्याप्त में दस योग, अपर्याप्त तीन योग होते हैं । स्त्री
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