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( २१० ) .४८ औदारिक मिश्रकाययोगी में
ओरालियमिस्सकायजोगीणं भण्णमाणे xxx ओरालियमिस्सकायजोगो x x x । ओरालियमिस्सकायजोगि-मिच्छाइट्ठीणं xxx ओरालियमिस्सकायजोगो xxx। ओरालियमिस्सकायजोगि - सासणसम्माइट्ठीणं xxx ओरालियमिस्सकायजोगो xxx। ओरालियमिस्सकायजोगि-असंजदसम्माइठ्ठीणं xxx ओरालियमिस्सकायजोगो x x x । ओरालियमिस्तकायजोगि-सजोगिकेवलीणं xxx ओरालिय मिल्सकायजोगो xxx।
-षट् ० खं० १, ५ । पु २ । पृ० ६५३-६० औदारिकमिश्र काययोगी की वक्तव्यत्ता में औदारिकमिश्र काययोग का कथन करना चाहिए।
(१) औदारिकमिश्र काययोगी मिथ्यादृष्टि में औदारिक मिश्र काययोग होता है।
(२) औदारिकमिश्र काययोग सास्वादन सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में औदारिकमिश्र काययोग होता है।
(३) औदारिकमिश्र काययोगी असंयत सम्याग्दृष्टि में औदारिकमिश्र काययोग होता है।
___(४) औदारिकमिश्र काययोगी सयोगी केवली गुणस्थान में औदारिकमिश्र काययोग होता है। .४९ वैक्रियकाययोगी में
वेउध्वियकायजोगीणं भण्णमाणे xxx वेउब्वियकायजोगो x x x | वेउब्धियकायजोगि-मिच्छाइट्ठीणं x xx वेउव्वियकायजोग xx x । वेउब्धियकायजोगि-सासणसम्माइट्ठीणं xxx वेउव्वियकायजोगो x x x। वेउवियकायजोगि-सम्मामिच्छाइट्ठीणं x x x बेउब्वियकायजोगो xxx । वेउब्धियकायजोगि-असंजदसम्माइट्ठीणं xxx वेउव्वियकायजोग x x x |
-षट ० खं । १ । १ । पु २ | पृ० ६६१.६३ वैक्रिय काययोगी की वक्तव्यत्ता में वैक्रिय काययोग की वक्तव्यत्ता कहनी चाहिए । वैक्रिय काययोगी मिथ्यादृष्टि में वैक्रिय काययोग होता है । वैक्रिय काययोगी सास्वादान सम्यग्दृष्टि गुणस्थान में वैक्रिय काययोग होता है।
वैक्रिय काययोगी सम्यग्-मिथ्यादृष्टि में वैक्रिय काययोग तथा वैक्रिय काययोगी असंयतसम्यग्दृष्टि में वैक्रिय काययोग होता है।
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