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( २०१ ) .२८.२ वैमानिक देव के विभिन्न भेदों में .२८.२.१ सौधर्म-ईशान देव में ___ सोधम्मीसाणदेवाणं भण्णमाणे xxx एगारह जोग xxx। तेसिं चेष पज्जत्ताणं XXX णव जोग XXX । तेसिं चेव अपज्जत्ताणं xxx दो जोग xxx। सोधम्मीसाणदेवमिच्छाइट्ठीणं xxx एगारह जोग xxX । तेसिं चेष पज्जत्ताणं XXX णव जोग XXX । तेसिं चेष अपज्जत्ताणं XXX दो जोगxx X| लोधम्मीसाण-सासणसम्माइट्ठीणं XXX एगारह जोग xxx। तेसि चेव पज्जत्ताणं XXX णव योग XXX| तेसि चेष अपज्जत्ताणंxxx दो जोग XXX। सोधम्मीसाणसम्मामिच्छाइट्ठीणं xxx णव जोग XXX । सोधम्मीसाण-असंजदसम्माइट्ठीणं XXX एगारह जोग xxxi तेसिं चेष पज्जताणं x xx णव जोग x x x । तेसिं चेष अपज्जत्ताणं xxx दो जोग xxx।
-षट• खं १।१ । पु २ । पृ० ५५१-५६ सौधर्म-ईशान देवों में ग्यारह योग होते हैं। इनके पर्याप्त में नव योग तथा अपर्याप्त में दो योग होते हैं। (वै क्रियमिश्र क्राययोग, कामण काययोग) .२८.१.२ सनत्कुमार-माहेन्द्र देव में
सणक मार माहिंददेवाणं भण्णमाणे x x x एगारह जोग x x x। तेसि येव पजत्ताणं xxx णव जोग x x x | तेसिं चेव अपजत्ताणं x x x दो जोग xxx | संपहि मिच्छाइटिप्पहुडि जाव असंजदसम्माइडि त्ति ताव चदुण्हं गुणट्ठाणार्ण सोधम्म भंगो।
-षट० खं १ । १ । पु २ पृ० ५६१-६३
सनत्कुमार-महेन्द्र देवों में ग्यारह योग होते हैं। इनके पर्याप्त में नव योग तथा अपर्याप्त दो योग होते हैं। इनमें प्रथम चार गुणस्थान हैं । .२८.२.३ ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर में बम्ह-बम्हुत्तर xxx कप्पदेवाणं सणक्कुमार-भंगो।
-षट खं १।१ । पु२ । पृ. ५६३ जैसा सनत्कुमार देवों में कहा है वैसा ही ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर देवों में योग कहना । .२८.२.४ लांतव-कापिष्ठ देवों में xxx लांतव-कापिट्ट x x x कप्पदेवाणं सणक्कुमार-भंगो।
-षट० खं । १ । १ । पु २ । पृ० ५६३
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