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हैं । मिथ्यादृष्टि सकायिक जीवों में तेरह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में दस योग होते है तथा अपर्याप्त में तीन योग - ( औदारिक काय योग, वैक्रिय मिश्रकाययोग तथा कार्मणका योग ) होते हैं ।
सास्वादान सम्यग्दृष्टि से अयोगी केवली के विषय में मूलोघ भंग की तरह योग जानना चाहिए।
. ३३ सइन्द्रिय जीव में
दियाणुवादेण अणुवादो मूलोघो । - पट० खं० १, १ । । पु २ | पृ० ५६६
इन्द्रिय जीव में पन्द्रह योग होते हैं - यथा - चार मन के योग, चार वचन के योग, औदारिक काययोग, औदारिकमिश्रकाय योग, वैक्रियमिश्र काययोग, वैक्रियकाय योग, आहारककाय योग, आहारक मिश्र काययोग तथा कार्मणकाय योग ।
• ३४ अनिन्द्रिय में
अणिदियाणं सिद्ध-भंगो ।
- षट् ० ० १, १ । पु २ | पृ० ५६०
अनिन्द्रिय में सात योग होते है - सत्यमनोयोग, व्यवहारमनोयोग, सत्यवचनयोग, व्यवहारवचनयोग, औदारिककाययोग, औदारिकमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोग |
सिद्ध ( अयोगी गुणस्थान तथा सिद्ध में ) अवस्था में योग नहीं होता है । • ३५ सयोगी में
जोगवादेण अणुवादो मूलोघ- भंगो । - षट् ० ० १, १ । पु २ | पृ० ६२८ सयोगी में पन्द्रहयोग होते हैं ।
• ३६ मनोयोगी में
मणजोगीणं भण्णमाणे x x x चत्तारि मणजोग x x x । मणजोगिमिच्छाइट्ठीणं x x x वत्तारि मणजोग x x x । मणजोगि सासणसम्माइट्ठीणं x x x चत्तारि मणजोग x x x । मणजोगि सम्मामिच्छा इट्ठीणं x x x वत्तारि मणजोग xxx । मणजोगि - असंजदलम्माइट्ठीणं x x x यन्तारि मणजोग x x x । मणजोगिसंजदासंजदाणं x x x खत्तारि मणजोग x x x मण जोगि पमत संजदाणं xxx चत्तारि मणजोग x x x । मणजोगि अप्पमत्तसंजदप्यहुडि जाव सजोगिकेवलित्ति ताव मूलोघ-भंगो। णवरि चप्तारि मणजोगा वत्तव्या । सजोगिकेवलिस सञ्चमणजोगो असच मोसमणजोगो इदि दो मणजोगा वक्तव्वा ।
- षट् ० खं० १, १ । २ । पृ० ६२८-६३३
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