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( १७६ ) .०६.०२ चतुर्थ पृथ्वी के पर्याप्त नारकियों में
देखो पाठ द्वितीय पृथ्वी के पर्याप्त नारकी .०४.०२ ।
चतुर्थ पृथ्वी के पर्याप्त नारकियों में आदि के चार गुणस्थान होते हैं तथा चार मन के, चार वचन के और वे क्रियकाय-नौ योग होते है । गुणस्थान की अपेक्षा से मिथ्यादृष्टि चतुर्थ पृथ्वी के पर्याप्त नारकियों में उपर्युक्त नौ योग। मासादन सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयत सम्यग्दृष्टि चतुर्थ पृथ्वी के पर्याप्त नारकी ही होते हैं और इनमें-उपर्युक्त नौ योग होते हैं। •०७ पंचम पृथ्वी के औधिक नारकियों में
देखो पाठ द्वितीय पृथ्वी के नारकी '०४। __ पंचम पृथ्वी के औधिक नारकियों में चार मन के, चार वचन के, वैक्रिय, वै क्रियमिश्र और कार्मणकाय-ग्यारह योग होते हैं। गुणस्थान की अपेक्षा से मिथ्यादृष्टि पंचम पृथ्वी के नारकियों में उपर्यक्त ग्यारह योग होते हैं। सासादन सम्यग्दृष्टि पंचम पृथ्वी के नारकियों में चार मन के, चार वचन के और वे क्रियकाय-नौ योग। सम्यग्मिथ्याष्टि पंचम पृथ्वी के नारकियों में उपर्युक्त नौ योग । असंयत सम्यग्दृष्टि पंचम पृथ्वी के नारकियों में उपर्युक्त नौ योग होते हैं।
पंचम पृथ्वी के नारकियों में मन, वचन और काय-तीन योग होते हैं।
पंचम पृथ्वी के नारकियों में चार मन के, चार वचन के, वैक्रियशरीर, वैक्रियमिश्र शरीर और कार्मणशरीर काय-ग्यारह प्रकृष्ट योग या प्रयोग होते हैं । ०७.०१ पंचम पृथ्वी के अपर्याप्त नारकियों में
देखो पाठ द्वितीय पृथ्वी के अपर्याप्त नारकी '०४.०१ ।
पंचम पृथ्वी के अपर्याप्त नारकियों में एक मिथ्याटष्टि गुणस्थान होता है तथा वैक्रियमिश्र और कार्मणकाय-दो योग होते हैं । गुणस्थान की अपेक्षा से मिथ्यादृष्टि पंचम पृथ्वी के अपर्याप्त नारकियों में उपर्युक्त दो योग होते हैं । ०७.०२ पंचमी पृथ्वी के पर्याप्त नारकियों में
देखो पाठ द्वितीय पृथ्वी के पर्याप्त नारकी ०४.०२ ।
पंचम पुथ्वी के पर्याप्त नारकियों में आदि के चार गुणस्थान होते हैं तथा चार मन के, चार वचन के और वैक्रियकाय-नौ योग होते हैं। गुणस्थान की अपेक्षा से मिथ्यादृष्टि पंचम पृथ्वी के पर्याप्त नारकियों में उपर्युक्त नौ योग। सासादन सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयत सम्यग्दृष्टि पंचम पृथ्वी के पर्याप्त नारकी ही होते हैं और इनमें-उपर्यक्त नौ योग होते हैं। •०८ षष्ठम पृथ्वी के औधिक नारकियों में
देखो पाठ द्वितीय पृथ्वी के औधिक नारको ०४ । षष्ठम पृथ्वी के औधिक नारकियों में चार मन के, चार वचन के, वैक्रिय, वैक्रिय
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