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तेजस शरीर द्वारा भी होता रहता है । अतः कार्मण काययोग में ही तेजस काययोग का समावेश हो जाता है, इसलिये उसको पृथक् नहीं गिना गया है ।
• ०१० मनोयोगी और वचनयोगी तथा द्रव्य- परिणाम (दो)
दो भंते ! दव्वा किं पओगपरिणया, x x x । जइ पओगपरिणया किं मणपयोगपरिणया, चइप्पयोगपरिणया, कायप्पयोगपरिणया ? गोयमा ! मणपयोगपरिणया, वइप्पयोगपरिणया, कायप्पओगपरिणया वा; अहवा एगे मणपयोगपरिणए एगेवयप्पयोगपरिणप; अहवा एगे मणप्पयोगपरिणए एगे कायपयोगपरिणए, अहवा एगे वयप्पयोगपरिणए एगे कायप्पयोगपरिणए ।
जर मणप्पओगपरिणया किं सश्चमणप्पयोगपरिणया, असश्चामणप्पयोगपरिणया, सच्चामोस मणप्पयोगपरिणया, असचा मोसमण-पओगपरिणया ? गोमा ! सचमणप्पओगपरिणया वा, जाव असच्चामोसमणप्पओगपरिणया; अहवा एगे सचमणप्पओगपरिणए एगे मोसमणप्पयोपपरिणए, अहवा एगे सञ्चमणप्पओगपरिणए एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए अहवा एगे सच्च मणप्पओगपरिणए एगे असच्चामोसमणप्पओगपरिणए; अहवा एगे मोसमणपओगपरिणए एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए अहवा एगे मोसमणप्पओगपरिणए एगे असश्चामो समणप्पओगपरिणए, अहवा एगे सच्चामोसमणप्पओगपरिणए एगे असच्चामो समणप्पओगपरिणए ।
जइ सञ्चमणप्पओगपरिणया कि आरंभसश्चमणप्पओगपरिणया, जाब असमारंभसश्चमणप्पओगपरिणया ? गोयमा ! आरंभसच्चमणपओगपरिणया बा, जाच असमारंभसश्चमणप्पओगपरिणया वा; अहवा एगे आरंमसश्चमणप्पओगपरिणए एगे अणारंभसश्च मणप्पओगपरिणए । एवं एएणं गमेणं दुयासंजोगेणं यव्वं, सव्वे संजोगा जत्थ जन्तिया उट्ठेति ते भाणियव्वा, जाव सव्बट्ठसिद्धगइ ।
-भग० श । ८ । उ१प्र५८-६१
यदि दो द्रव्य प्रयोग परिणत होते हैं तो (१) बे दो द्रव्य मनः प्रयोग परिणत होते हैं। (२) या वचन प्रयोग परिणत होते हैं, (३) या कायप्रयोग परिणत होते हैं या उनमें से एक एक द्रव्य ( ४ ) मनःप्रयोग परिणत होता है और दूसरा वचन प्रयोग परिणत होता है । अथवा (५) एक द्रव्य मनःप्रयोग परिणत होता है और दूसरा कायप्रयोग परिणत होता है। अथवा (६) एक द्रव्य वचन प्रयोग परिणत होता है और दूसरा कायप्रयोग परिणत होता है ।
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