________________
(
१४२ )
तथा उपपाद की अपेक्षा सर्वलोक प्रमाण क्षेत्र अवगाह है तथा वचनयोग तथा मनोयोग का लोक के असंख्यातवें भाग क्षेत्र परिमाण अवगाह है ।
.०१२ द्रव्ययोग की स्थिति
मनोयोग तथा बचनयोग की स्थिति जघन्य एक समय तथा उत्कृष्ट अन्तर्महूर्त, तथा काययोग की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त उत्कृष्ट अनंतकाल की होती है ।
.०१३ द्रव्ययोग और भाव
आगमों में द्रव्ययोग के भाव सम्बन्धी कोई पाठ नहीं है, लेकिन पुद्गल द्रव्य होने के कारण इसका परिणामिक भाव है ।
.०१४ योगस्थान के दस अनुयोगद्वार
अविभागपडिच्छेद परूवणा वग्गणपरूवणा फद्दयपरूवणा अंतरपरूवणा ठापरूवणा अनंतरावणिधा परंपरोवणिधा समयपरूवणा वढिपरूवणा अप्पाबहुए ति । - षट्० खं० ४ २, ४ सू १७६ १० पृ० ४३८
एत्थि दससु अणिओगद्दारेषु अविभागपडिच्छेदपरूवणा चेव किमट्ठ पुव्वं परुविदा ? ण, अणवगएसु अविभागपडिच्छेदेसु उवरिमअधियाराणं परूवणोवायाभावादो । तदणंतरं वग्गणपरूवणा किमट्ठ परुविदा ? ण एस दोसो, अणवगयासु वग्गणासु फद्दयपरूवणाणुववत्तदो । फद्दसु अणवगएसु अंतरपरूवणादीणमुवायाभावादो सेसाणियोगद्दारेसु फद्दयपरूवणा पुण्वं खेच कदा | कहयबहुत्तणिबंधण अंतरे अणवगए बहुफद्दयाहिद्विदट्ठाणादीणं परूवणोवायाभावादो से साणिओगद्दारेहितो पुव्वमेव अंतरपरूवणा कदा | ठाणेसु अणवगएसु अनंतरावणिधादीणमवगमोवायाभावादो पुव्वं द्वाणपरूचणा कदा | अणंतरोवणिधाए अणवगदाए परंपरोवणिधावगंतुं ण सक्किजदि त्ति पुव्यमणंतवणिधा परुविदा । परंपरोवणिधाप अणवगदाए समय- वड्ढि - अप्पा बहुगाणमवगमोवायाभावादो परंपरोवणिधा परुविदा । समएसु अणवगएसु उवरिमअहियाराणमुत्थाणाभावादो समयपरूवणा पुव्वं परुविदा । वड्ढिपरूवणाए अणवगदाए तत्थावट्ठाणकालावगमोवायाभावादो अप्पाबहुवादो पुव्वं वड्ढि - परूवणा कदा । एवं परूविदाणं सव्वेसिं थोवबहुत्त जाणावणट्टमप्पा बहुगपरूवणा कदा |
योगस्थान प्ररूपणा के दस अनुयोगद्वार होते हैं, यथा-अविभाग प्रतिच्छेद प्ररूपणा, वर्गणा प्ररूपणा, स्पर्द्धक प्ररूपणा, अन्तरप्ररूपणा, स्थानप्ररूपणा, अनन्तरोपनिधा, परम्परोपनिधा, समयप्ररूपणा, वृद्धिप्ररूपणा और अल्पबहुत्व |
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org