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अथवा
विविध या विशिष्ट क्रिया को विक्रिया कहते हैं, उसमें होनेवाले को वैक्रिय कहा जाता है। यथा - एक होकर अनेक हो जाता है, अनेक होकर एक हो जाता है, अणु - सूक्ष्मतम होकर विशाल बन जाता है, विशाल होकर अणु बन जाता है, खचरआकाशचारी होकर भूमिचर हो जाता है, भूमिचर होकर खचर हो जाता है, अवश्य होकर दृश्य हो जाता है तथा दृश्य होकर अदृश्य हो जाता है इत्यादि । जिससे विशिष्ट कार्य करते हैं वह वैकुर्विक है, पृषोदरादि गण के आधार पर अभीष्ट रूप सिद्ध होता है | वह वैकुर्विक दो प्रकार का होता है - औपपातिक और लब्धिप्रत्यय । उपपात या जन्म के निमित्त से होनेवाला औपपातिक है जो देव और नारकियों में होता है । लब्धप्रत्यय तिर्यंच और मनुष्यों में होता है । उसी रूप का काययोग या तन्मय होनेवाला योग वैक्रिय काययोग या वैकुर्विककाययोग कहा जाता है ।
अणिमादि को विक्रिया कहा जाता है उसके योग से पुद्गलों को भी विक्रिया कहा जाता है, उनमें होनेवाले शरीर को वैक्रिय कहा जाता है । उसको आश्रव मानकर उत्पन्न होनेवाले परिस्पन्दन के साथ होनेवाले योग - प्रवृत्ति को वैक्रियकाययोग कहते हैं ।
०२१८ औदारिक काययोग की परिभाषा
(क) 'ओराजियसरीरकायप्पओगे' इति x x x औदारिकमेव शरीरं तदेव पुद्गलस्कन्धसमुदायरूपत्वात् उपचीयमानत्वाश्च कायः औदारिककायः तस्य प्रयोगः औदारिकशरीरकायप्रयोगः अयं व तिरश्चो मनुष्यस्य च पर्याप्तस्य १ । - पण्ण० प १६ । सू १०६८ टीका (ख) इह प्रसिद्ध XXX श्री हरिभद्रसूरिदर्शिता व्युत्पत्तिलिख्यतेतत्थ ताव उदारं उरालं उरलं ओरालं वा । तित्थगरगणधर सरीराई पडुश्च उदार gas, न तभउदारतरमन्नमस्थि काउं, उदारं नाम प्रधानम् । उदारं नाम विस्तरालं विशालमिति वा, जं भणियं होइ कह ? साइरेगजोयणसहस्समपट्टि - यमाणमोरालियं अन्नमिद्दहमित्तं नत्थि, वेउब्वियं हुजइ लक्खमहिये अवहियं पंधणुयाई अहे सत्तमाए, इत्थं पुण अवट्टियपमाणं अइरेगं जोयणसहसं वनस्पत्यादीनामिति । उरालं नाम स्वल्पप्रदेशोपचितत्वात् वृहत्वाश्च भिण्डवात् । ओरालं नाम मांसास्थिस्नाय्वाद्यवयवबद्धत्वात् । (अनु० हा०टी०पत्र ८७ ) XXX। सर्वत्र स्वार्थिक इकप्रत्ययः, उदारमेव उरालमेब उरलमेव ओरालमेव औदारिकम् पृषोदरादित्वात् इष्टरूपनिष्पत्तिः [ औदारिकमेव चीयमानत्वात् कायः, तेन सहकारिकारणभूतेन तद्विषयो वा योग औदारिककाययोगः ५ । ]
• कर्म • ० भा ४ । गा २४ । टीका पृ० १५२-५३
औदा- षट् ० खं १, १ । सू ५६ टीका । १ । २६८
(ग) औदारिकशरीरजनितवीर्याजीवपरिस्पन्दननिबन्धनप्रयत्नः fraकाययोगः 1
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