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संसारवृक्ष
कवि क्या गाते हैं : 'अहा! अक्रमज्ञान कदी ना सुणियुं, एणे खोदियुं धोरी वृक्ष मूळियु।'
यह संसार एक वृक्ष है। अनंतकाल से यह वृक्ष सूख ही नहीं रहा है। लोग पत्तियाँ काटकर पेड़ को सुखाना चाहते हैं, लेकिन पत्ते फिर से फूट निकलते हैं। कुछ धर्मवाले कहते हैं कि पत्ते काट डालेंगे तो संसारवृक्ष सूख जाएगा, लेकिन फिर से पत्ते फूट निकलते हैं। कुछ ऐसा कहते हैं, बड़ी-बड़ी डालियाँ काट डालोगे तो वृक्ष सूख जाएगा। लेकिन फिर भी वह वृक्ष सूखता नहीं है, डालियाँ फिर उग निकलती हैं। कुछ लोग तने को काट डालने को कहते हैं, फिर भी वापस उग जाता है। कुछ उससे भी आगे जाकर जड़ें काट डालने को कहते हैं, लेकिन फिर भी वापस वृक्ष उग जाता है। संसाररूपी वृक्ष को निर्मूल करने का यह सही उपाय नहीं है। यह संसारवृक्ष किससे खड़ा हुआ है? इस वृक्ष की जड़ें तो बहुत सारी होती हैं, जमीन में वे सब जड़ें तो पेड़ को पकड़ने के लिए होती हैं और एक जड़ ऐसी होती है कि जो खुराक-पानी लेने के लिए होती है, उसे मूसला जड़ कहते हैं। सिर्फ 'ज्ञानीपुरुष' ही संसार वृक्ष की मूसला जड़ को जानते हैं और वे उसमें चीरा लगाकर दवाई डाल देते हैं ! 'ज्ञानीपुरुष' बस इतना ही करते हैं, और कुछ नहीं करते। पत्तियों को, डालियों को, तने को या और किसी भी जड़ को हाथ ही नहीं लगाते। सिर्फ मूसला जड़ में ही दवाई दबा देते हैं, उससे संसारवृक्ष धीरे-धीरे अपने आप ही सूख जाता है। फिर वापस नया पत्ता नहीं फूटता।
संसार एकदम उदंडता से उपयोग करने जैसा नहीं है, लेकिन उसका