________________
वीतराग मार्ग
तब यह मशीनरी सारी बंद हो गई, अहंकार बंद हो गया, अहंकार रूपी मशीनरी बंद होते ही सुख उत्पन्न होता है । तब फिर उसे लगता है कि, 'बहुत अच्छी नींद आई थी ! बहुत अच्छी नींद आई थी!'
सचोट इच्छा, कैसी होती है?
४११
दादाश्री : मोक्ष की इच्छा है या दूसरे गाँव जाना है? इच्छा किस तरफ की रहती है?
प्रश्नकर्ता : मुक्ति के अलावा और कुछ भी नहीं चाहिए ।
दादाश्री : मोक्ष की इच्छा हो और साथ ही साथ दूसरी इच्छा दिखती रहती हो न तो हमें पता चलता है कि अभी यह कोई एक इच्छा अंदर पड़ी हुई है, किसी दिन हमें दिखा देती है । जैसे अपने घर में दो लोग हों तो रोज़ एक का एक ही दिखता है, लेकिन कभी दूसरा दिखे तो हमें जानना चाहिए कि कोई है भीतर, ऐसा पता नहीं चलेगा? यानी दूसरा कोई ऐसा अंदर दिखता है ?
प्रश्नकर्ता : दिखता है कभी ।
दादाश्री : एकाध है या दो लोग हैं?
प्रश्नकर्ता : पता नहीं ।
I
दादाश्री : वह तो पता लगाना पड़ेगा। ऐसा है न कि सिर्फ मोक्ष की ही इच्छा हो न, तो उसे कोई भी रोकनेवाला नहीं है । जिसे सिर्फ मोक्ष की ही सचोट इच्छा है उसे कोई रोकनेवाला नहीं है ! ज्ञानी उनके घर जाएँगे ! वे कहेंगे कि, 'मुझे ज्ञानी का क्या करना है? मुझे उनसे मिलने तो जाना ही पड़ेगा न?' नहीं, तेरी इच्छा ही तेरे लिए ज्ञानी को ले आएगी ! ज्ञानी साधन हैं। ‘मोक्ष के अलावा अन्य कुछ भी नहीं चाहिए, ' जिसकी सिर्फ यही एक इच्छा है उसके पास हर एक चीज़ आती है, लेकिन जिसे दूसरी इच्छाएँ हैं, भीतर पोल है, उसका कुछ नहीं हो सकता । उस पोल की तो पत्रिका जब प्रकाश में आती है तब पता चलता है! उसे पोलपत्रिका कहा जाता है। वीतराग कहते हैं कि जो हमारे जैसे पक्के हैं, जिसे कुछ भी कामना