Book Title: Aptavani Shreni 02
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 451
________________ ४१४ आप्तवाणी-२ है और कल यह बुलबुला फूट जाएगा तो क्या मोक्षमार्ग खत्म हो जाएगा? तब कहे, 'नहीं, यदि इतनी शर्त होगी कि जिसे मोक्ष के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की कामना नहीं है और जिसे खुद जान-बूझकर धोखा खाना है ऐसे कुछ लक्षण उसमें खुद में होंगे और तो उसका मोक्ष कोई रोकनेवाला नहीं है। यों ही, अकेला ही, ज्ञानी के बिना भी दो अवतारी होकर वह मोक्ष में चला जाएगा!' अन्य मार्गों में, कैसी दशा ऐसा है वीतराग मार्ग! उसे आज पूरा रौंद दिया है ! यानी कि लोगों को क्रियाकांड में ही डाल दिया है। उसमें डालनेवाला कोई भी नहीं है, डालनेवाले उनके कर्म हैं और जो उसमें पड़ जाते हैं और भीतर घुस जाते हैं वे भी उनके खुद के कर्मों से ही दुःख पाते हैं। हर कोई अपने कर्मों से ही दु:ख पा रहा है, उसमें किसी का दोष नहीं है, खुद के कर्मों के कारण ही उलझता रहता है। यह जो घानी का बैल होता है, उसे शाम को ऐसा लगता है कि वह चालीस मील तक चला, लेकिन जब आँखों पर से पट्टी हटती है, तब वही की वही घानी! उसी तरह ये लोग चलते रहते हैं! अनंत, लाखों मील चले हैं, लेकिन घानी के बैल की तरह वहीं के वहीं पर हैं! और वहीं पर होते तो भी अच्छा था। घानी का बैल तो वहीं का वहीं रहता है, लेकिन ये तो दो पैरों में से चार पैरवाले बनेंगे! इसलिए मुझे हुँकार कर बोलना पड़ता है कि, 'अरे भाई! सावधान हो जाओ कुछ, कुछ तो सावधान हो जा! मोक्ष की बात तो जाने दे, लेकिन कुछ अच्छी गति तो चख और आज भरत क्षेत्र में अच्छी गति रखकर क्या फ़ायदा मिलेगा? अब तो छठ्ठा आरा (कालचक्र का बारहवाँ हिस्सा) आने की तैयारी हो रही है! अब किसी अन्य क्षेत्र में जाया जा सके, क्षेत्र परिवर्तन हो जाए, ऐसा कुछ कर ले!' क्षेत्र परिवर्तन हो सकता है। वीतरागों के मार्ग में सभी साधन हैं। आज तो महावीर भगवान के, कृष्ण भगवान के, वेदांत के, सभी धर्मों के शास्त्रों का पूरा आधार है। छठे आरे की शुरूआत से ही किसी धर्म का कोई आधार नहीं होगा - खत्म, खलास! अठारह हज़ार साल के बाद बिल्कुल ही खत्म हो जाएगा! ऐसा वीतरागों का वर्णन है,

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