Book Title: Aptavani Shreni 02
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 454
________________ वीतराग मार्ग ४१७ मेहनत ही हैं न! मेहनत से कभी भी किसी का मोक्ष नहीं हुआ है, वीतरागता से मोक्ष हुआ है। आप जिस अवस्था में फँसे हुए हो; मेहनती अवस्था में फँसे हए हो, तब भी वीतरागता या फिर ऐसे शांत एक जगह पर शांत अवस्था में हो, तब भी यदि वीतरागता होगी तो मोक्ष होगा। एकांत में बैठे रहने से कुछ नहीं होगा या फिर मेहनत करते रहने से भी कुछ नहीं होगा। वीतरागता से मोक्ष होता है और वीतरागता कब आती है? तब कहे, संकल्प-विकल्प जाएँ तब वीतरागता आती है। संकल्प-विकल्प कहाँ पर जाते हैं? 'ज्ञानीपुरुष' के पास। उनकी कृपा बरसे तो, उनकी कृपा उतरे और कृपा पात्र बन जाएँ तब संकल्प-विकल्प जाते हैं, नहीं तो करोड़ों जन्मों तक भी जा नहीं पाएंगे। एक विकल्प निकालने जाएगा तो दूसरे चार बीज डल जाएँगे, यानी फिर नये चार पौधे उगे! एक पौधा निकालने गया, तो चार उगे! इन क्रियाओं से क्या होता है कि आज लक्ष्मी मिली, और दूसरा यह कि दिमाग़ तेज़ हो गया! क्योंकि वीतरागों के शब्द पढ़े हैं! वीतरागों के शब्दों परसे क्रिया करने लगे हैं, इसलिए वीतराग ब्रेन टॉनिक से ब्रेन तेज़ हो गया। ब्रेन तेज़ हो गया इसलिए ट्रिक करना सीख गए, हार्ड ट्रिक, ट्रिक्स। बुद्धि है, वह किसलिए है? ट्रिक करने के लिए या मोक्ष में जाने के लिए? प्रश्नकर्ता : मोक्ष में जाने के लिए। दादाश्री : हं। बुद्धि धोखा देने के लिए होती है? यदि सामनेवाले की कम बुद्धि का लाभ ले तो? तो वह तो दुष्ट जानवर कहलाता है। भगवान ने क्या कहा है, ऐसा दुष्ट जानवर देखा नहीं था! वर्ल्ड में और किसी भी जगह पर नहीं है। सिर्फ इस हिन्दुस्तान में और थोड़ी-बहुत हिन्दुस्तान की छूत चीन-वीन में घुस गई है, लेकिन मूलतः यह छूत हिन्दुस्तान की है। जैसे टी.बी का रोग कुछ देशों में होता है न, वैसा ही यह एक प्रकार का रोग है और ये जंतु हैं, तो इसके जंतु फैलते हैं। मैंने आपके साथ दो-चार बार 'ट्रिक' की, इसलिए आप कहते हो कि, 'ट्रिक किए बिना नहीं चलेगा।' इससे जंतुओं का फैलाव शुरू हो जाता है। भयंकर रोग है यह तो! इसके जैसा और कोई रोग नहीं है। हार्ड रौद्रध्यान है। चार गतियों में भटका मारेगा!

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