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वीतराग मार्ग
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मुझे कुछ भी बताने की ज़रूरत नहीं है । मैं तो उनका बताया हुआ वर्णन कर रहा हूँ, यह मेरी बात नहीं है । मेरी बात तो 'यह' जो यों ही निकल रही है, वह है। जबकि यह तो वीतरागों की बात है। भाई, थोड़ा समझना पड़ेगा न? समझे बिना कैसे चलेगा?
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किसी दिन आपने जान-बूझकर धोखा खाया था? जान-बूझकर धोखा खाए, वह सबसे बड़ा महाव्रत कहलाता है, इस दुषमकाल का ! जानबूझकर धोखा खाने जैसा कोई महाव्रत नहीं है इस काल में ! सच्चा मार्ग तो मिलना चाहिए न ?
प्रश्नकर्ता : लोग क्रिया की तरफ विशेष रूप से झुके हुए हैं।
दादाश्री : सच्चा मार्ग नहीं मिला, इसलिए । लेकिन क्रिया की तरफ झुकाव होता न तो भी हर्ज नहीं था कि 'क्रिया का फल आएगा ।' किसी व्यक्ति ने यहाँ जायफल का बीज बोया हो तो ऊपर जायफल आएँगे तो वे खीर या श्रीखंड में डालने के काम आएँगे, लेकिन अगर कुछ बोया होगा तभी फल आएगा, लेकिन उनमें सभी ट्रिक ध्यान उत्पन्न हुए । ब्रेन टॉनिकवाले जो ध्यान उत्पन्न हुए, वे संपूर्ण अहितकारी हैं। उन्होंने जो डबल ट्रिक काम में ली, व्यापार हीरों का जिसमें कि मिलावट नहीं की जा सकती है तो उसमें क्या किया? एक के बदले दूसरा देने लगे ! तो उसके बजाय तो मिलावटवाले अच्छे कि वही था और उसमें दूसरा डाला। और यह तो एक के बदले अन्य! इन्हें कैसे पहुँच पाएँगे? किसी की बात नहीं करते हम। कोई समझदार हो तो बात करना कि 'ज्ञानीपुरुष' सावधान होने को कह रहे हैं। ब्रेन टॉनिक से इतना सावधान हुआ जा सके तो हो जाओ, यह बहुत अच्छी बात है, क्योंकि और तो कुछ नहीं, लेकिन यह हार्ड रौद्रध्यान कहलाता है। लकड़ी में भी सॉफ्ट वुड और हार्ड वुड आती है I और उस हार्ड वुड को तो रंधा मारे तो रंधा टूट जाता है! सॉफ्ट वुड होगी तो दियासलाई भी बनेगी, यह तो हार्ड वुड जैसी हार्ड रौद्रध्यान है ।
संकल्प - विकल्प किसे कहते हैं?
‘मेरा,' जहाँ पर ऐसा आरोप किया- वह संकल्प और 'मैं, ' का जहाँ