________________
३६८
आप्तवाणी-२
प्रत्याख्यान करके गुत्थियाँ खोल देनी हैं। यदि एक बिल्ली को मार डालें तो दोनों के आत्मा में नोंध (अत्यंत राग अथवा द्वेष सहित लंबे समय तक याद रखना, नोट करना) हो जाती है। बिल्ली बैर लिए बिना रहेगी नहीं, इसलिए हमें उसके आलोचना, प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान कर लेने चाहिए। ज्ञानी के जो-जो वाक्य फिट होते जाते हैं, वे 'अनुभव ज्ञान' कहलाते हैं, और वे मोक्ष में ले जाते हैं।
तंत दो प्रकार के हैं, एक छूट जाता है वैसा तंत और दूसरा जल्दी से नहीं छूट पाता, वह तंत। दूसरा तंत बहुत लंबे समय तक चलता रहता है, उसके भी अनके बार आलोचना, प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान कर लेने चाहिए। जिसके लिए खराब विचार आएँ तो हमें ऐसा कहना चाहिए कि, 'ये तो बहुत अच्छे व्यक्ति हैं, बहुत अच्छे व्यक्ति हैं।' ऐसा बोलने से उस व्यक्ति पर असर होता है। बाकी उसके सामने देखना मत कि वे कैसे हैं, हमें तो उन्हें अच्छा ही कहना है। एक बार, दो बार, तीन बार करने से वह अवश्य ही बदल जाएगा। यह सब अनुभवज्ञान है, हम जिस रास्ते पर चले हैं, उसी रास्ते से हम आपको ले जा रहे हैं।
सॉरी मतलब प्रतिक्रमण? प्रश्नकर्ता : थेन्क यू और सॉरी शब्द, वे प्रतिक्रमण जैसे हैं न?
दादाश्री : नहीं, यदि भैंस खुश होकर सिर हिलाए तो उसे थैक्स जैसा मान सकते हैं। यह बात उनके लिए, फॉरेनर्स के लिए ठीक है। लेकिन ये प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान की बराबरीवाला कोई भी शब्द नहीं मिल सकता। फिर भी यह जो सॉरी बोलते हैं, वह व्यवहार में बोलते हैं।
जिनका रात-दिन आत्मा में ही उपयोग रहता है, वे सत्पुरुष हैं, लेकिन यह तो, किसी का तप में उपयोग, किसी का प्रतिक्रमण में उपयोग रहता है। भगवान ने क्या कहा है कि, 'प्रतिक्रमण तो खुद की भाषा में करना, ये तुझे आगे का मार्ग बताएँगे।' यह तो प्रतिक्रमण का अर्थ कैसा करता है? जैसे सांताक्रुज़ का बोर्ड लगाया हुआ हो, और उस रास्ते पर जाना हो, लेकिन यह तो वहाँ दादर में ही बैठकर और 'वे टु सांताक्रुज़,