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वेदांत समकित प्राप्त करने के लिए दो मार्ग हैं : वेदांत और जैन। भगवान ने कहा है कि, 'वेदांत के मार्ग पर जाएगा, तब भी समकित प्राप्त होगा
और जैन के मार्ग पर जाएगा, तब भी समकित प्राप्त होगा। लेकिन वेदांतवालों से कहा कि, 'आप जैनों के शास्त्र पढ़ना!' और जैनों से कहा कि, 'आप वेदांत के शास्त्र पढ़ना!'
प्रश्नकर्ता : सभी धर्मवाले कभी भी एक हो सकते हैं क्या?
दादाश्री : नहीं। ये ३६० डिग्रियाँ होती हैं, वे सभी डिग्रियाँ क्या कभी एक डिग्री बन सकती हैं? नहीं। ये सभी अलग-अलग डेवेलपमेन्ट तो रहेंगे ही।
प्रश्नकर्ता : जैन और वैष्णव, वे क्या है?
दादाश्री : वैष्णव बिलो नॉर्मल की बोर्डर पर होते हैं जबकि जैन और वेदांत अबव नॉर्मल की बोर्डर पर होते हैं। यह जो ईंट होती है, वह एकदम कच्ची भी नहीं चलती और बहुत ज़्यादा पकी हुई भी नहीं चलती, वह तो ठीक से पकाई हुई ही चलती है। उसी तरह यह धर्म और जीवन में भी सभी को नॉर्मेलिटी में ही आना पड़ेगा।
कोई व्यक्ति यदि भगवान से पूछे कि, 'भगवान, हम जैन धर्म का पालन करते हैं तो हमारा मोक्ष होगा?' भगवान कहेंगे, 'तेरे जैन के परमाण हों या वेदांत के परमाणु हों, जो हों वे, लेकिन वे सभी परमाणु खत्म हो जाएँगे तब मोक्ष होगा!' जैन को जैन के और वेदांती को वेदांत के सभी परमाणु खाली करने पड़ेंगे, तभी मोक्ष होगा!
जहाँ पुण्य और पाप दोनों ही हेय हैं, उसे भगवान ने मोक्षमार्ग कहा