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आप्तवाणी-२
तरह करवा सकते हैं? वल्लभाचार्य ने तो वेदांत मार्ग को सुंदर पुष्टि दी थी। वल्लभाचार्य के समय में कैसे आचार थे? कि लोग महाराज के दर्शन करते और महाराज लोगों के शुद्धात्मा के दर्शन करते। यह तो काल की विचित्रता के कारण सबकुछ बदल गया है। ये जो महाराज साहब के लोग दर्शन करते हैं और उसके सामने महाराज यदि लोगों के आत्मा के दर्शन नहीं करेंगे तो महाराज खुद लुट जाएँगे! अब यह बात किसे समझ में आए? अब काल पूरा होने आया है, अब सभी रिलेटिव धर्म टॉप पर आएँगे। हम सभी अपसेट हो चुके रिलेटिव धर्मों को फिर से अपसेट कर देंगे, उससे क्या होगा? सेटअप हो जाएगा!
कृष्ण का साक्षात्कार प्रश्नकर्ता : मीरा को, नरसिंह को, कृष्ण का साक्षात्कार किस तरह हुआ था?
दादाश्री : जो मीरा को और नरसिंह को दिखाई दिए वे कृष्ण नहीं थे, उसे देखनेवाला कृष्ण है! जो कहता है कि, 'कृष्ण भीतर दिखाई देते हैं, वह तो दृश्य है, उसे देखनेवाला दृष्टा, वही सच्चा कृष्ण है और उस सच्चे कृष्ण के साक्षात्कार तो सिर्फ 'ज्ञानीपुरुष' ही करवा सकते हैं। उस समय 'ज्ञानीपुरुष' नहीं थे इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि उन्हें सच्चा साक्षात्कार हुआ था, लेकिन नरसिंह, मीरा, कबीर, अखा, ज्ञानदेव, तुकाराम वगैरह सभी भक्त अभी यहीं पर हैं, कोई भी मोक्ष में नहीं गया है, इस काल में हमसे स्वरूप का ज्ञान ले गए हैं!
जब तक तू भक्त है तब तक भगवान तुझसे अलग हैं। जब भक्त और भगवान एक हो जाते हैं, तब काम पूर्ण होता है। कृष्ण को तो कोई पहचान ही नहीं सका। कृष्ण को किसीने बंसरीवाला तो किसीने गोपियोंवाला वगैरह-वगैरह बनाया। कोई भी तसवीरें बेचे और हम खरीद लेते हैं फिर उनकी आराधना करते हैं, यह सब व्यापार है ! कृष्ण वैसे नहीं हैं। आप जैसी कल्पना करते हो, वे वैसे नहीं हैं। यह तो, लोग बालकृष्ण की भजना करते हैं। कोई ज्ञान में बूढ़े हो चुके, ज्ञानवृद्ध हो चुके योगेश्वर