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योगेश्वर श्री कृष्ण
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कृष्ण को नहीं भजते । बालकृष्ण को लोग झूले में बैठाते हैं। कृष्ण कहते हैं, 'लोग उल्टे हैं, हर साल लोग मेरे जन्मदिन पर भूखे रहते हैं और दूसरे दिन मालमलीदा खाते हैं। ऐसे मेरे खुद के ही भक्त मेरे विरोधी बन गए हैं। मुझे मुरलीवाला बनाते हैं, कपटी कहते हैं, लीला करते हैं, ऐसा कहते हैं। मेरा जितना उल्टा हो सके, उतना उल्टा करते रहते हैं।' मूर्त के दर्शन करने से मूर्त बना जाता है और अमूर्त को भजने से अमूर्त बना जाता है, उससे मोक्ष मिलता है। स्वरूप में रमणता वह चारित्र है। शुद्ध दशा से अभेदता लगती है। आत्मवत् सर्वभूतेषु लगता है, वह निरा शुद्ध है। ज्ञानदर्शन-चारित्र और सुख उत्पन्न हुआ, वही ज्योत है। यह दीया वह नहीं है। ज्ञाता-दृष्टा वही कृष्ण। दृश्य, वह कृष्ण नहीं है।
___ मर्यादा और पूर्ण पुरुषोत्तम प्रश्नकर्ता : राम मर्यादा पुरुषोत्तम और कृष्ण को पूर्ण पुरुषोत्तम कहा है। वह ठीक है?
दादाश्री : असल में कृष्ण को पूर्ण पुरुषोत्तम नहीं कह सकते, राम को ही पूर्ण पुरुषोत्तम कह सकते हैं, क्योंकि राम मोक्ष में जा चुके हैं, राम परमात्मा हो चुके हैं। कृष्ण को परमात्मा नहीं कह सकते, भगवान कह सकते हैं। अभी तक वे मोक्ष में नहीं गए हैं, आनेवाली चौबीसी में तीर्थंकर बनकर मोक्ष में जानेवाले हैं। यह तो, कृष्ण को पूर्ण पुरुषोत्तम किसलिए कहा है? प्रकट का महात्म्य गाने के लिए। जो मोक्ष में जा चुके हैं, वे कुछ नहीं कर सकते हमारे लिए। अभी तक जो हाज़िर हैं ब्रह्मांड में, उनसे कभी मेल हो जाएगा तो वे काम निकाल देंगे। देवकी, बलराम और कृष्ण तीनों एक ही कुटुंब के, तीर्थंकर बननेवाले हैं। उनके चाचा के बेटे नेमिनाथ भगवान बाइसवें तीर्थंकर हो चुके हैं। पूरा कुटुंब ही साँवला था उनका! लेकिन ग़ज़ब के पुरुष पैदा हुए उसमें!
गीता का रहस्य, यहाँ दो ही शब्दों में प्रश्नकर्ता : कृष्ण भगवान ने अर्जुन को किसलिए महाभारत का युद्ध लड़ने को कहा था?