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आप्तवाणी-२
भगवान ने सामायिक की शुरूआत कहा है और आठ मिनट से अड़तालीस मिनट तक रहे, उसे सामायिक कहा है । अड़तालीस मिनट से अधिक तो किसी को भी नहीं रह पाता है । आत्मा में ही रहना, वही सामायिक है ।
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'भगवान अंगे भाषीओ, सामायिक अर्थ,
सामायिक पण आतमा, धरे सीधो अर्थ ।"
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सामायिक का अर्थ तो भगवान ने बताया है । 'सामायिक ही आत्मा और आत्मा ही सामायिक है । '