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मन
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दादाश्री : इस संसार में मनोयोगी पुरुष होते हैं, वे मन की खोज कर सकते हैं, लेकिन उससे मन का विलय नहीं होता, वे मन को बढ़ने से रोक सकते हैं। फिर भी, उन लोगों को जिसमें अच्छा लगता है, वे गाँठें तो बड़ी होती जाती हैं। मन का विलय करने की यथार्थ दवाई चाहिए, तब विलय होगा।
एक तरफ मन डिस्चार्ज होता है और दूसरी तरफ भ्रांति के कारण चार्ज होता है। डिस्चार्ज मन को रोका नहीं जा सकता। 'ज्ञानीपुरुष' चार्ज होनेवाले मन को सील कर देते हैं, फिर डिस्चार्ज मन क्रमशः विलय किया जा सकता है, और वह भी मात्र 'ज्ञानीपुरुष' के ज्ञानशस्त्र से! मन तो ज्ञानियों में भी होता है और महावीर भगवान में भी था, लेकिन उनके और मन के बीच कैसा रहता है? विवाह में कोई द्वार पर खड़ा हो तो उसके पास से एक-एक व्यक्ति जय-जय करता हुआ जाता है, उसी तरह ज्ञानियों की मन की गाँठे फूटती हैं और विचार के रूप में एक-एक विचार आता है
और सलाम करके जाता है, फिर दूसरा आता है। ज्ञानियों का विचारों के साथ ज्ञाता-ज्ञेय का संबंध होता है, विचार में खुद तन्मय नहीं हो जाते, शादी-संबंध नहीं होता। 'ज्ञानीपुरुष' के नहीं मिलने से कैसे भी विचार आने लगे और उन्हीं विचारों में तन्मय होने से गाँठे बन गई, उनमें से फिर विचार
आते ही रहते हैं, और वही खुद को परेशान करते हैं। लेकिन 'ज्ञानीपुरुष' मिल जाएँ तो वे बताते हैं कि गाँठों को किस तरह से विलय करें, फिर वे विलय हो जाती हैं।
मन पर काबू प्रश्नकर्ता : मन पर कंट्रोल कैसे किया जा सकता हैं?
दादाश्री : मन पर तो कंट्रोल हो ही नहीं सकता। वह तो कम्पलीट फिज़िकल है, मशीनरी की तरह। वह तो ऐसा लगता है कि कंट्रोल हो गया, लेकिन वह तो पूर्व के हिसाब से। यदि पूर्व में ऐसा सेट किया हो, पूर्व में भाव में होगा तो इस जन्म में द्रव्य में आएगा, वर्ना इस जन्म में तो मन कंट्रोल में लाया ही नहीं जा सकता। मन इस तरह किसी भी प्रकार