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जगत् - पागलों का हॉस्पिटल
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हॉस्पिटल में कौन नहीं? वैसे दो भाग इन बाल बढ़ानेवालों ने अलग कर दिए!
आज के बच्चों ने तो बल्कि बाल बढ़ाकर ओपन किया है कि जो बाल कटवाते हैं वे मेन्टल हॉस्पिटल के लोग हैं और हम मेन्टल होस्पिटल से बाहरवाले हैं और मेन्टल हॉस्पिटल के लोग इन्हें फिर कहते हैं, कि 'ये मेन्टल हैं!' इसलिए हिन्दुस्तान को कोई नुकसान होनेवाला नहीं है। ये 'ज्ञानीपुरुष' के आशीर्वाद हैं।
कुदरत में बुद्धि मत लगाओ द वर्ल्ड इज़ द पज़ल, इटसेल्फ पज़ल हो चुका है। उसमें ये लोग क्या उसे नाप सकते थे? ये लोग इस पज़ल को नापने में लगे हुए हैं। कहते हैं कि, '१९४७ में जनसंख्या इतनी थी तो २००० में इतनी हो जाएगी।' अरे, चक्कर, घनचक्कर! पहले साल में एक बच्चा था, तीसरे साल में दूसरा हुआ, इसलिए अस्सी साल की उम्र में तो ३०-४० हो जाएँगे?! हिसाब क्या निकाल रहा है? अरे पागल, घनचक्कर हो या क्या हो? घनचक्कर! कैल्क्युलेशन नहीं निकालते, मनुष्यों का, सारा हिसाब लगाने बैठे हैं, ये सभी घनचक्कर हैं। लड़का पाँच साल का था तब तक सवा-दो फुट का था
और सोलह साल की उम्र में पौने पाँच फुट लंबा है, इसलिए अस्सी की उम्र में इतना लंबा हो जाएगा! हे घनचक्करों, हिन्दुस्तान के मनुष्य का तोल क्यों कर रहे हो? २००० में इतने हो जाएँगे और ३००० में इतने हो जाएंगे। यदि आप ऐसा कहते हो कि दो हज़ार में इतना हो जाएगा, तो आज से पाँच हज़ार साल पहले कितने थे, वह बताओ न! यदि आपको यह गिनती करनी आती हो तो कह दो कि तब कितने लोग थे। तब वे कहेंगे कि, 'वह हमें मालूम नहीं।' तो फिर पगले तुझे पत्नी का पति बनना नहीं आता। वह पत्नी को माँ कहता है जाकर! कैसे घनचक्कर पैदा हुए हो! तेरी पत्नी को माँ बुलाना तो तेरा काम होगा! बेटा माँ कहता है और तू भी माँ कहना, यानी पति-पत्नी नहीं चाहिए रास्ते में। घनचक्कर! जनसंख्या गिनने निकले हैं, कैल्क्यु लेशन करने बैठे हैं कि १९८० में इतने और १९९० में इतने हो जाएँगे और २००० में इतने हो जाएँगे! तो इन्हें कोई पकड़नेवाला भी नहीं