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ज्ञानयोग : अज्ञानयोग
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आत्मा का क्या भला हुआ? वह नहीं है आत्मा। आत्मा का अनाहत नाद होगा या आत्मा का आनुषंगिक होगा तो कोई परेशान नहीं करेगा। लेकिन यदि पूरण-गलन की वंशावली होगी तो परेशान करेगी। आत्मा और आत्मा के आनुषंगिक में कोई अवरोध डाल सके, ऐसा नहीं है, लेकिन अगर पूरण-गलन की वंशावली होगी तो विघ्न डाले बिना रहेंगे ही नहीं। तो फिर क्या, उसे पहचानना नहीं पड़ेगा कि वह वंशावली किसकी है?
फिर भी जिसे इसमें पड़ना हो उसे हम नहीं हिलाते, उसका जो भी स्टेशन है, वह ठीक है। जब तक उसे यह आत्मज्ञान नहीं मिलता, तब तक वह अवलंबन ठीक है।