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सहज प्राकृत शक्ति देवियाँ
वचनबल होता है! उनके एक-एक वचन पर जगत् आफरीन होगा ! उनका एक ही वचन ठेठ मोक्ष तक ले जाएगा । हमारे एक-एक शब्द में चेतन है। वाणी रिकॉर्ड स्वरूप है, जड़ है । लेकिन हमारी वाणी भीतर ग़ज़ब के प्रकट हो चुके परमात्मा को स्पर्श करके निकलती है, इसलिए निश्चेतन को चेतन बना दे, ऐसी चेतनवाणी है ! सामनेवाले की भावना होनी चाहिए । हम बोलें कि, 'एय, कूद,' तो सामनेवाला दस फुट का गड्ढा भी कूद जाए ! तब कुछ कहते हैं कि, 'आप शक्तिपात करते हैं ।' ना, हमारे वचन में ही ऐसा बल है! कोई बहुत डिप्रेस हो चुका हो तो हम उसे आँखों से प्रेम का पान करवाते हैं। ‘ज्ञानीपुरुष' तो किसी भी तरह से शक्ति प्रकट करवा दें। ग़ज़ब का वचनबल होता है ।
कवि क्या गाते हैं :
‘जगत् उदय अवतार, देशना ते श्रुतज्ञान, स्यादवाद ज्ञान-दान, सर्वमान्य परमाण ।'
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जगत् का उदय अच्छा हो, तो 'ज्ञानीपुरुष' प्रकट हो जाते हैं और उनकी ‘देशना' ही ‘श्रुतज्ञान' है । उनके एक ही वाक्य में सभी शास्त्र पूर्णरूप से आ जाते हैं !
शास्त्रों में लिखा है कि 'सत्य बोलो।' तब लोग कहते हैं कि, 'हमसे सत्य नहीं बोला जाता । इसलिए अब कोई कलियुगी शास्त्र दो तब काम होगा।' कलियुग का असर नहीं हो पाए और मोक्ष में ले जाए ऐसे शास्त्र अब लिखे जाएँगे। यह सत्य बोलो, दया रखो, शांति रखो, उन शास्त्रों की बातें तो पुरानी दवाई हो चुकी है ! अब तो नयी दवाई की आवश्यकता पड़ेगी। हमारा निश्चय तो सच बोलने का होना चाहिए । फिर भूल हो जाए तो हमें चंदूलाल से प्रतिक्रमण करवाना पड़ेगा। 'हमारे' शब्द आवरण तोड़नेवाले हैं। आपको अंदर पूरा स्पष्टीकरण दे दें, ऐसा ज्ञानी का वचनबल है। हमारे पास यहाँ आप बैठते हो, तब जगत् विस्मृत रहता है और उसी को मोक्ष कहा है!
हमारी वाणी तो प्रत्यक्ष सरस्वती कहलाती है। फोटो की सरस्वती,