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कुदरती नियम : 'भुगते उसी की भूल'
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एक स्त्री मुंबई के बस-स्टैन्ड पर खड़ी थी। अब बस-स्टैन्ड पर खड़ा रहना क्या कोई गुनाह है? इतने में एक बस आई और स्टैन्ड पर चढ़ गई, उसने स्टैन्ड तोड़ दिया और उस स्त्री को भी कुचल दिया। वहाँ पाँच सौ लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। अब इन लोगों से कहें कि, 'इसका न्याय करो।' तो वे लोग कहेंगे कि, 'बेचारी यह स्त्री बिना गुनाह के मर गई। इसमें स्त्री का क्या दोष? यह ड्राईवर नालायक है। यह स्त्री बेचारी बिना गुनाह के मर गई, इसलिए भगवान जैसी कोई चीज़ इस संसार में लगती ही नहीं।'
लो, इन लोगों ने ऐसा सार निकाला! लेकिन हम क्या कहते हैं, 'भुगते उसी की भूल।' भगवान तो हैं ही। अरे, ये भगवान नहीं होते तो क्या रहता इस जगत् में? ये लोग तो क्या समझते हैं कि भगवान का चलन नहीं रहा। तब लोगों की भगवान पर से भी आस्था उठ जाती है। अरे! ऐसा नहीं है। ये सब तो पिछले जन्म के हिसाब हैं, ये एक जन्म के नहीं हैं। आज उस स्त्री की भूल पकड़ी गई, इसलिए भुगतना पड़ा।
इस कलियुग में एक्सिडेन्ट और इन्सिडेन्ट ऐसे होते हैं कि व्यक्ति उलझ जाता है। एक्सिडेन्ट मतलब क्या कि 'टू मेनी कॉज़ेज़ एट ए टाइम
और इन्सिडेन्ट मतलब क्या कि 'सो मेनी कॉज़ेज़ एट ए टाइम।' इसीलिए हम क्या कहते हैं कि 'भुगते उसी की भूल' और वह तो जब पकड़ा जाएगा, तब उसकी भूल समझी जाएगी।
एक वृद्ध मुझसे कहते हैं, 'मुझे बहुत दुःख भुगतना पड़ रहा है।' मैंने पूछा, 'क्यों चाचा, क्या हुआ है?' वे भाई कहते हैं, 'मेरा बेटा बहुत बिगड़ गया है।' मैंने पूछा, 'एक ही बेटा बिगड़ गया या सभी?' वृद्ध ने कहा, 'एक ही ऐसा पैदा हुआ है। बाकी तीन तो अच्छे हैं।' मैंने पूछा, 'वह क्या करता है?' वृद्ध ने कहा, 'शराब पीता है, जुआ खेलता है, रेस में जाता है, होटलों