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त्रिमंत्र विज्ञान
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नमो सिद्धाणं, वह सिद्धों को पहुँचता ही है, लेकिन जितने भाव से बोलते हैं, उतना पहुँचता है।
यह सब समझना चाहिए। जैन धर्म अर्थात् समझना, समझकर गाओ कहते हैं। ये अपने नरसिंह मेहता हो चुके हैं न, वे नागरों के मोहल्ले में रहते थे। उनका मोहल्ला तो नागरों का था न? मेहता जी तो रोज़ प्रातः काल जल्दी उठकर प्रभाती गाते थे, और दूसरे नागर उनका मज़ाक उड़ाते थे। तो सुबह दातुन करते-करते भगत जो भी गाते थे नागर लोग ऊँची आवाज़ में वही गाने लगते, यानी पूरा मुहल्ला गाने लगता। लोग उनकी नकल करने लगे, वे बोलते वैसा ही गाने लगे। इसलिए फिर नरसिंह मेहता ने ऐसा कहा कि,
'मेरा गाया हुआ जो गाएगा, वह बहुत मार खाएगा, और समझकर गाएगा तो वैकुंठ जाएगा।'
मेरा गाया हुआ मत गाना, बहुत मार खाएगा।
उसी तरह यह नवकार मंत्र समझकर बोलो। यह मंत्र किस-किसको पहुँचता है, कहाँ-कहाँ पहुँचता है, उतना समझकर पहुँचाओ। भगवान ने साधु तो किसे कहा है? जो आत्मदशा साधे वे साधु। हमें तो भगवान महावीर की बात को सच मानना चाहिए। हमें 'नमो वीतरागाय' बोलना चाहिए।
यह नवकार मंत्र बोलते हैं न, वह समझकर गाओ। यह ब्रह्मांड बहुत बड़ा है, बीस तीर्थंकर हैं, पंच परमेष्टि बहुत सारे हैं। मंत्र समझकर बोलने से फिर भले ही अज्ञानी हो, लेकिन ॐ का फल मिलता है। तीर्थंकर किसे कहते हैं? पंच परमेष्टि किसे कहते हैं? यह सब समझकर बोले तो ॐ का फल मिलता है।
ॐ की यथार्थ समझ प्रश्नकर्ता : दादा, ॐ क्या है? दादाश्री : नवकार मंत्र बोलें, एकाग्र ध्यान से, वह ॐ और 'मैं