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सहज प्राकृत शक्ति देवियाँ
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माताजी
अंबिका देवी यानी सहज प्रकृति । हर एक देवी जी के नियम होते हैं। उन नियमों को पालें तो माता जी खुश रहती हैं। हम अंबे माँ के एक ही इकलौते लाल हैं। माता जी के पास आप हमारी चिट्ठी लेकर जाओगे तो वे स्वीकार करेंगी। आपका बेटा हो और नौकर हो, लेकिन यदि नौकर आपके नियम में ही रहे तो आपको नौकर प्रिय लगेगा या नहीं? लगेगा ही । हमने कभी भी अंबा माँ के, लक्ष्मी जी के या सरस्वती देवी के नियम नहीं तोड़े हैं। निरंतर उनके नियमों में ही रहते हैं । इसलिए ये तीनों देवियाँ हम पर निरंतर प्रसन्न रहती हैं । आपको भी यदि उन्हें प्रसन्न रखना हो तो उनके नियमों का पालन करना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : अंबामाता के क्या नियम हैं? हमारे घर पर अंबामाता की भक्ति करते हैं सभी, लेकिन उनके नियम क्या हैं वे हम नहीं जानते ।
दादाश्री : अंबा जी देवी यानी क्या? वे प्रकृति की सहजता सूचित करती हैं। यदि सहजता टूटी तो अंबा जी तेरे ऊपर राज़ी ही कैसे होंगी? इन अंबा देवी का क्या कहना ! वे तो माता जी हैं, माँ हैं । बंगाल में जो दुर्गा कहलाती हैं, वही ये अंबाजी हैं। सभी देवियों के अलग-अलग नाम रखे हैं, लेकिन ज़बरदस्त देवी हैं ! पूरी प्रकृति हैं। पूरी प्रकृति का भाग यदि हो तो वह माता जी हैं । यदि प्रकृति सहज हुई तो आत्मा सहज हो ही जाता है। आत्मा और प्रकृति उन दोनों में से एक सहज की तरफ चला तो दोनों सहज हो जाते हैं !
सरस्वती
प्रश्नकर्ता : सरस्वती देवी के नियम क्या हैं?
दादाश्री : सरस्वती अर्थात् वाणी से संबंधित जो-जो नियम लागू होते हैं, उनका पालन करें तो सरस्वती देवी खुश रहती है। वाणी का दुरुपयोग करें, झूठ बोलें, प्रपंच करें तो फिर सरस्वती देवी कैसे राज़ी होंगी? जो भीतर है वह नहीं बोलो, तो तुझ पर सरस्वती देवी किस तरह