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सहज प्राकृत शक्ति देवियाँ अंबामाता, दुर्गादेवी, सभी देवियाँ प्रकृति भाव सूचित करती हैं। वे सहजता सूचित करती हैं। प्रकृति सहज हो जाए तो आत्मा सहज हो जाता है अथवा आत्मा सहज हो जाए तो प्रकृति सहज हो जाती है। हम लोगों को माता जी की भक्ति खुद की प्रकृति द्वारा करवानी है। हमें आत्मभाव से नहीं करनी है। 'चंदूलाल' से देवी की भक्ति करवानी है और तभी प्रकृति सहज होगी।
यह तो, हिन्दुस्तान में लोगों ने माता जी के अलग-अलग नाम रखे हुए हैं। कितना बड़ा, विशाल होगा यह साइन्स! कितनी सारी खोज करके अंबामाता, सरस्वतीदेवी, लक्ष्मीदेवी की शोध हुई होगी! यह सब किया, तब साइन्स कितना अधिक ऊँचा पहुँचा हुआ होगा? यह सब अभी खत्म हो गया है, तभी तो माता जी के दर्शन करना भी नहीं आया!
माता जी वे आद्यशक्ति हैं! वे प्राकृत शक्ति देती हैं। माता जी की भक्ति करने से प्राकृत शक्तियाँ उत्पन्न होती हैं। अंबा माँ तो संसार के विघ्न दूर कर देती हैं, लेकिन मुक्ति तो ज्ञान द्वारा ही प्राप्त होती है । दर्शन करना आए तो चार माताएँ तो हाज़िर ही हैं - अँबा माँ, बहुचरा माँ, कालिका माँ और भद्रकाली माँ। माता जी पापों को नहीं धोतीं, लेकिन प्राकृत शक्तियाँ देती हैं।
ये अंबा माता जी हमारा (दादा का) कितना रक्षण करती हैं? हमारे आसपास सब ओर देवी-देवता हाज़िर ही रहते हैं। हम देवी-देवताओं से पूछे बिना, उनकी आज्ञा लिए बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ते। सर्व देवी-देवताओं की कृपा हमारे ऊपर और हमारे महात्माओं पर बरसती ही जा रही है!